- – यह भक्ति गीत माँ दुर्गा, काली और शेरावाली की महिमा का वर्णन करता है, जो त्रिभुवन की प्रतिपाली और जगदम्बे के रूप में पूजी जाती हैं।
- – गीत में माँ की ममता, शक्ति और संकटों में भक्तों की रक्षा करने वाले स्वरूप की स्तुति की गई है।
- – ध्यान और भक्ति से मनुष्य को संसार के बंधनों से मुक्ति मिलती है और माँ भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।
- – माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं और मनुष्यों की रक्षा की, जिससे उनका बल और करुणा प्रकट होती है।
- – भक्तों की विनती सुनने वाली और संकट में सहायता करने वाली माँ की सेवा में जीवन बिताने की प्रेरणा दी गई है।
- – गीत के स्वर लखबीर सिंह लख्खा जी द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं, जो भक्ति भाव को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

है कौन बड़ा तुमसे मैया,
ओ त्रिभुवन की प्रतिपाली।
तर्ज – जहाँ डाल डाल पर।
श्लोक – नमामि दुर्गे, नमामि काली,
नमामि देवी महेश्वरी,
नमामि साक्षात,
परब्रम्ह परमेश्वरी,
नमामि माता सुरेश्वरी।
है कौन बड़ा तुमसे मैया,
ओ त्रिभुवन की प्रतिपाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली।।
जो ध्यान तेरा करले मन में,
वो जग से मुक्ति पाए,
(जय माँ – ३, जगदम्बे)
जो ध्यान तेरा करले मन में,
वो जग से मुक्ति पाए,
तू प्रलयकाल में आकर के,
भक्तो को मात बचाए,
भक्तो को मात बचाए,
अपने भक्तो की करती है,
हर संकट में रखवाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली।।
जब हाहाकार मचा जग में,
सब सुर और नर घबराए,
(त्राहिमाम – ३, दुर्गे)
जब हाहाकार मचा जग में,
सब सुर और नर घबराए,
तब त्राहिमाम माता दुर्गे,
कह देव शरण में आए,
सब देव शरण में आए,
झट महिषासुर वध करने को,
तुमने कृपाण संभाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली।।
तू ममता की भंडार हो माँ,
हो शिव शक्ति रुद्राणी,
(जय माँ – ३, जगदम्बे)
तू ममता की भंडार हो माँ,
हो शिव शक्ति रुद्राणी,
नित सुमिरण करते नाम तेरा,
सारी दुनिया के प्राणी,
सारी दुनिया के प्राणी,
जिसने जो माँगा वर उसको,
तू पलभर में दे डाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली।।
ओ मैया बस तेरी सेवा में ही,
बीते सारा जीवन,
(जय माँ – ३, जगदम्बे)
एक बार दया कर ‘शर्मा’ और,
‘लख्खा’ को दे दो दर्शन,
भक्तो को दे दो दर्शन,
अपने भक्तो की विनती को,
बस तू ही सुनने वाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली।।
है कौन बड़ा तुमसे मैया,
ओ त्रिभुवन की प्रतिपाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली,
जगदम्बे दुर्गे काली,
मेरी मैया शेरावाली।।
स्वर – लखबीर सिंह लख्खा जी।
