- – यह गीत दीनदयाल जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करता है, जिसमें उन्हें घर आने का निमंत्रण दिया गया है।
- – गीत में दीनदयाल जी को “रूनीचे रा श्याम” के रूप में संबोधित किया गया है, जो उनके प्रति प्रेम और सम्मान दर्शाता है।
- – गीत में पारंपरिक भोजन जैसे गुड़ की खीर, चावल, मूंग की दाल, बाजरे का सोगरो और गवार फली का साग का उल्लेख है, जो सांस्कृतिक और ग्रामीण जीवन की झलक देता है।
- – हरजी भाटी की विनती के माध्यम से दीनदयाल जी से सदैव आशीर्वाद और संरक्षण की कामना की गई है।
- – गीत का स्वर प्रकाश माली जी ने दिया है और इसे मनीष सीरवी ने प्रेषित किया है, जो स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का प्रयास है।

हालो हालो म्हारा दीनदयाल,
म्हारे घर हालोनी।
दोहा – रामा सामा आवजो,
ने कलजुग बहत करूर,
अरज करूँ अजमाल रा,
हेलो साम्भलजो नी हुज़ूर।
हालो हालो म्हारा दीनदयाल,
रूनीचे रा श्याम,
ओ म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारे दीनदयाल,
रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी,
ओ थारी घणी करूला मनवार,
ओ थारी घणी करूला मनवार,
म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारा रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी।।
अरे गाय दुवारू गोरकी रे बाबा थारे,
गाय दुवारू गोरकी रे,
गुड़ री रंदावु खीर,
म्हारे घर हालोनी,
ओ गुड़ री रंदावु खीर,
म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारा रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी।।
चावल रंदावु उजला रे बाबा,
थारे चावल रंदावु उजला रे,
हरिया मूंगो री दाल,
म्हारे घर हालोनी,
हरिया मूंगो री दाल,
म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारा रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी।।
मोठ बाजरी रो सोगरो रे बाबा,
थारे मोठ बाजरी रो सोगरो रे,
गवार फली रो साग,
म्हारे घर हालोनी,
गवार फली रो साग,
म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारा रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी।।
हरजी भाटी री विनती ओ,
हरजी भाटी री विनती ओ,
जुग जुग चरना रे माय,
म्हारे घर हालोनी,
ओ जुग जुग चरना रे माय,
म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारा रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी।।
हालो हालों म्हारा दीनदयाल,
रूनीचे रा श्याम,
ओ म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारे दीनदयाल,
रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी,
ओ थारी घणी करूला मनवार,
ओ थारी घणी करूला मनवार,
म्हारे घर हालोनी,
हालो हालो म्हारा रूनीचे रा श्याम,
म्हारे घर हालोनी।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
