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हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥
इस धरती पर जन्म लिया था दसरथ नंन्दन राम ने,
इस धरती पर गीता गायी यदुकुल-भूषण श्याम ने ।
इस धरती के आगे झुकता मस्तक बारम्बार है ॥

हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥

इस धरती की गौरव गाथा गायी राजस्थान ने,
इस पुनीत बनाया अपने वीरों के बलिदान ने ।
मीरा के गीतों की इसमें छिपी हुई झंकार है ॥

हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥

कण-कण मंदिर इस माटी का कण-कण में भगवान् है,
इस माटी से तिलक करो यह मेरा हिन्दुस्तान है ।
इस माटी का रोम रोम भारत का पहरेदार है॥

हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है,
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ॥

हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है – आरएसएस गीत

भूमिका

“हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है” गीत भारत भूमि की महानता, इसकी संस्कृति, इसके वीरों और आदर्शों को नमन करता है। इस गीत में मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम और श्रद्धा का भाव व्यक्त किया गया है। प्रत्येक पंक्ति में भारत भूमि की गौरवशाली परंपराओं, वीरता, और आस्था का वर्णन है।


हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है

मुख्य भाव

गीत की पहली पंक्ति में भारत की माटी के प्रति अतुलनीय प्रेम की भावना है। यहां “अनुपम प्यार” शब्द से इस पवित्र भूमि के प्रति वह प्रेम और सम्मान झलकता है जो अनोखा और अतुलनीय है।


पहला पद:

इस धरती पर जन्म लिया था दसरथ नंदन राम ने

इस पंक्ति में भगवान राम का उल्लेख है, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उनके जन्म का उद्देश्य धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म का नाश था। भगवान राम का जन्म इस भूमि पर होना भारत को एक महान गौरव प्रदान करता है।

इस धरती पर गीता गायी यदुकुल-भूषण श्याम ने

यहां श्रीकृष्ण का उल्लेख है, जिन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। गीता का ज्ञान न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए जीवन जीने का मार्गदर्शन है। यह दर्शाता है कि भारत केवल जन्मभूमि ही नहीं, बल्कि ज्ञान की भूमि भी है।

इस धरती के आगे झुकता मस्तक बारम्बार है

इस पंक्ति में भारत के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव है। यहां ‘मस्तक बारम्बार झुकना’ उस असीम आदर को दर्शाता है जो प्रत्येक भारतीय के मन में अपनी मातृभूमि के प्रति होना चाहिए।


दूसरा पद:

इस धरती की गौरव गाथा गायी राजस्थान ने

इस पंक्ति में राजस्थान के वीर योद्धाओं और उनके बलिदानों का स्मरण है। राजस्थान के महाराणा प्रताप, पन्नाधाय, और अन्य महान योद्धाओं ने इस भूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। उनके बलिदान से यह भूमि गौरवमयी बन गई।

इस पुनीत बनाया अपने वीरों के बलिदान ने

भारत के वीरों ने देश की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, वह इस माटी को और भी पवित्र बना देता है। यह पंक्ति उस पवित्रता और आदर को व्यक्त करती है जो वीरों के त्याग से उत्पन्न होता है।

मीरा के गीतों की इसमें छिपी हुई झंकार है

इसमें भक्त कवयित्री मीरा बाई का संदर्भ है, जो भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनके भजनों में भक्ति और प्रेम की झंकार आज भी इस धरती में गूंजती है। यह भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक है।


तीसरा पद:

कण-कण मंदिर इस माटी का कण-कण में भगवान है

यह पंक्ति बताती है कि इस भूमि का हर कण हमारे लिए पूजनीय है। इसमें भारतीय संस्कृति की वह भावना झलकती है जिसमें धरती को माता के रूप में देखा जाता है, और इसकी हर वस्तु में ईश्वर का निवास मानते हैं।

इस माटी से तिलक करो यह मेरा हिन्दुस्तान है

इस पंक्ति में मातृभूमि के प्रति प्रेम का प्रदर्शन है। मातृभूमि को तिलक करना एक आदर प्रकट करने का रूपक है, जो दिखाता है कि इस माटी से हमारा अनन्य संबंध है और यही हमारा हिंदुस्तान है।

इस माटी का रोम रोम भारत का पहरेदार है

इस पंक्ति में हर भारतीय के मन में देश की सुरक्षा और उसकी सेवा का भाव दिखाया गया है। भारत का प्रत्येक नागरिक इस धरती का पहरेदार है और इसकी रक्षा करना उसका परम कर्तव्य है।


निष्कर्ष

यह गीत न केवल मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास, और बलिदानों का भी स्मरण कराता है। हर पंक्ति मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और गौरव का प्रतीक है और हमें हमारी संस्कृति, हमारे नायकों, और हमारे गौरवशाली इतिहास से जोड़ती है।

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