हनुमान चालीसा in Hindi/Sanskrit
॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥
Hanuman Chalisa in English
॥ Doha ॥
Shri Guru Charan Saroj Raj
Nij manu mukuru sudhari.
Baranau Raghubar bimal jasu
Jo dayaku phal chari.
Buddhiheen tanu jaanikay
Sumirau Pavan-Kumar.
Bal buddhi vidya dehu mohin
Harahu kalesh bikar.
॥ Chaupai ॥
Jai Hanuman gyaan gun saagar.
Jai kapis tihun lok ujagar.
Ram doot atulit bal dhama.
Anjani putra Pavansut nama.
Mahabir bikram bajrangi.
Kumati nivar sumati ke sangi.
Kanchan baran biraj subesa.
Kanan kundal kunchit kesa.
Hath bajra aru dhwaja birajai.
Kandhe moonj janeu saajai.
Shankar suvan Kesari nandan.
Tej pratap maha jagvandhan.
Vidyaavan guni ati chatur.
Ram kaaj karibe ko aatur.
Prabhu charitra sunibe ko rasiya.
Ram Lakhan Sita man basiya.
Sukshma roop dhari Siyahin dikhawa.
Bikat roop dhari Lanka jarawa.
Bhim roop dhari asur sanhare.
Ramchandra ke kaaj sanware.
Lay Sanjeevan Lakhan jiyaye.
Shri Raghubeer harashi ur laaye.
Raghupati keenhi bahut badaayi.
Tum mam priya Bharat-hi sam bhai.
Sahas badan tumharo jass gaavein.
As kahi Shripati kanth lagaavein.
Sanakadik Brahmadik Munisa.
Narad Sarad sahit Ahisa.
Jam Kuber Digpal jahan te.
Kabi kobid kahi sake kahan te.
Tum upkar Sugrivahin keenha.
Ram milaye raj pad deenha.
Tumharo mantra Vibhishan maana.
Lankeshwar bhaye sab jag jaana.
Yug sahastra yojan par bhaanu.
Leelyo tahi madhur phal jaanu.
Prabhu mudrika meli mukh maahi.
Jaladhi langhi gaye acharaj naahi.
Durgam kaaj jagat ke jete.
Sugam anugrah tumhare tete.
Ram duaare tum rakhwaare.
Hot na aagya binu paisaare.
Sab sukh lahe tumhari sarna.
Tum rakshak kahu ko darna.
Aapan tej samhaaro aapai.
Teenon lok haank te kaapai.
Bhoot pishaach nikat nahin aavai.
Mahavir jab naam sunavai.
Nasai rog harai sab peera.
Japat nirantar Hanumat Beera.
Sankat te Hanuman chhudavae.
Man kram vachan dhyan jo lavai.
Sab par Ram tapasvi raja.
Tinke kaaj sakal tum saaja.
Aur manorath jo koi lavai.
Soi amit jeevan phal paavai.
Chaaro yug pratap tumhara.
Hai prasiddh jagat ujiyara.
Sadhu sant ke tum rakhwaare.
Asur nikandan Ram dulare.
Ashta siddhi nau nidhi ke daata.
As bar deen Janaki maata.
Ram rasayan tumhare paasa.
Sadaa raho Raghupati ke daasa.
Tumhare bhajan Ram ko paavai.
Janam janam ke dukh bisraavai.
Antkaal Raghubarpur jaai.
Jahan janm Haribhakt kahai.
Aur devata chitt na dharai.
Hanumat sei sarva sukh karai.
Sankat katai mitai sab peera.
Jo sumirai Hanumat Balbeera.
Jai jai jai Hanuman Gosai.
Kripa karahu Gurudev ki naai.
Jo sat baar paath kar koi.
Chhoothahi bandi maha sukh hoi.
Jo yah padhe Hanuman Chalisa.
Hoi siddhi saakhi Gaurisa.
Tulsidas sada Hari chera.
Keejai Nath hriday mah dera.
॥ Doha ॥
Pavan tanay sankat haran,
Mangal moorti roop.
Ram Lakhan Sita sahit,
Hriday basahu sur bhoop.
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हनुमान चालीसा का अर्थ
हनुमान चालीसा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली भक्ति स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है। यह 40 चौपाइयों से युक्त है और तुलसीदास द्वारा रचित है। इसका पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं और उन्हें भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। इस स्तोत्र में भगवान हनुमान की शक्ति, वीरता, बुद्धिमानी और राम भक्ति का गुणगान किया गया है।
श्रीगुरु चरन सरोज रज
श्लोक:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
अर्थ:
यहाँ तुलसीदास सबसे पहले अपने गुरु के चरणों की वंदना करते हैं। गुरु के चरण कमलों की धूल से अपने मनरूपी दर्पण को पवित्र कर, वे भगवान राम के निर्मल और महान यश का वर्णन करते हैं, जो धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष चारों फलों को देने वाला है।
बुद्धिहीन तनु जानिके
श्लोक:
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
अर्थ:
तुलसीदास स्वयं को बुद्धिहीन मानकर हनुमानजी से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें बल, बुद्धि, और विद्या प्रदान करें और उनके सभी कष्टों और विकारों को दूर करें। यह दोहा भक्तों को सिखाता है कि हनुमानजी की कृपा से जीवन में किसी भी संकट का सामना किया जा सकता है।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
श्लोक:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
अर्थ:
तुलसीदास भगवान हनुमान की स्तुति करते हुए कहते हैं कि हनुमान जी ज्ञान और गुणों के सागर हैं। उनकी महिमा तीनों लोकों में व्याप्त है। वे वानरों के राजा भी हैं। यह चौपाई हनुमानजी की महानता और गुणों की ओर इशारा करती है जो सभी लोकों में प्रकाशमान हैं।
राम दूत अतुलित बल धामा
श्लोक:
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
अर्थ:
हनुमान जी भगवान राम के दूत और अतुलनीय बल के धाम हैं। वे अंजनी के पुत्र और पवन देव के नाम से विख्यात हैं। इस चौपाई में हनुमानजी की ताकत और उनके दिव्य माता-पिता का जिक्र किया गया है।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
श्लोक:
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
अर्थ:
हनुमान जी महाबली और वीर हैं। वे बजरंग (बलशाली) हैं और कुमति (बुरी बुद्धि) को दूर करते हैं, साथ ही सुमति (अच्छी बुद्धि) के साथी भी हैं। इस चौपाई में हनुमानजी की बलशाली और विवेकपूर्ण स्वभाव की महिमा की गई है।
कंचन बरन बिराज सुबेसा
श्लोक:
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा॥
अर्थ:
हनुमान जी का कंचन (सोने के रंग का) शरीर है और वे अत्यंत सुंदर वस्त्र धारण किए हुए हैं। उनके कानों में कुंडल हैं और उनके बाल घुंघराले हैं। यहाँ हनुमानजी के दिव्य स्वरूप और उनके आभूषणों का वर्णन किया गया है।
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै
श्लोक:
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेउ साजै॥
अर्थ:
हनुमान जी के हाथ में बज्र (वज्र) और ध्वजा (झंडा) शोभायमान हैं। उनके कंधे पर मूँज का जनेऊ सजा हुआ है। यह चौपाई हनुमानजी की वीरता और उनके योद्धा रूप का वर्णन करती है, जहाँ वे शक्ति और धर्म के प्रतीक हैं।
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन
श्लोक:
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥
अर्थ:
हनुमान जी को भगवान शंकर का अवतार माना गया है और वे केसरी के पुत्र हैं। उनका तेज और प्रताप ऐसा है कि समस्त संसार उनकी वंदना करता है। इस चौपाई में हनुमानजी के दिव्य अवतार और शक्ति की महिमा का गुणगान है।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
श्लोक:
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
अर्थ:
हनुमान जी विद्वान, गुणवान और अत्यंत चतुर हैं। वे सदैव भगवान राम के कार्यों को पूरा करने के लिए तत्पर रहते हैं। यहाँ हनुमानजी की बुद्धिमानी और उनकी भगवान राम के प्रति भक्ति का वर्णन किया गया है।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
श्लोक:
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
अर्थ:
हनुमान जी भगवान राम के चरित्र को सुनने के रसिया (प्रेमी) हैं। उनके हृदय में सदैव राम, लक्ष्मण, और सीता का निवास है। यह चौपाई हनुमानजी की भक्ति और भगवान राम के प्रति उनके असीम प्रेम को दर्शाती है।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
श्लोक:
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
अर्थ:
हनुमान जी ने सूक्ष्म रूप धारण करके माता सीता को देखा और विकट रूप धारण कर लंका को जला दिया। यहाँ हनुमानजी की चतुराई और उनकी वीरता का वर्णन किया गया है।
भीम रूप धरि असुर सँहारे
श्लोक:
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥
अर्थ:
हनुमान जी ने भीम (विशाल) रूप धारण करके असुरों का संहार किया और भगवान राम के कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण किया। इस चौपाई में हनुमान जी की असुरों को हराने की शक्ति और रामजी के प्रति उनकी सेवाभावना को दर्शाया गया है।
लाय सजीवन लखन जियाए
श्लोक:
लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥
अर्थ:
हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवनदान दिया। इससे भगवान राम (रघुवीर) बहुत प्रसन्न हुए और हनुमान जी को अपने हृदय से लगा लिया। इस चौपाई में हनुमान जी की सेवा और उनकी भक्तिभावना का उल्लेख है, जहाँ उन्होंने अपने अद्वितीय पराक्रम से रामजी के प्रिय भाई लक्ष्मण की जान बचाई।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
श्लोक:
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
अर्थ:
भगवान राम ने हनुमान जी की बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे लिए भरत के समान प्रिय हो। यहाँ भगवान राम द्वारा हनुमान जी को उनके महान कार्यों के लिए सम्मानित किए जाने का वर्णन है, और यह बताता है कि हनुमान जी भगवान राम के प्रति कितने समर्पित थे।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
श्लोक:
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥
अर्थ:
भगवान विष्णु (श्रीपति) कहते हैं कि हजारों मुख तुम्हारी महिमा का गान करते हैं और फिर उन्होंने हनुमान जी को गले से लगा लिया। इस चौपाई में हनुमान जी की महिमा और उनकी सार्वभौमिक ख्याति का उल्लेख है।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
श्लोक:
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
अर्थ:
सनक, सनन्दन, ब्रह्मा, नारद, सरस्वती और शेषनाग जैसे महान ऋषि-मुनि, देवता और विद्वान भी हनुमान जी की महिमा का गान करते हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की महिमा केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि दिव्य देवता और ऋषि भी उनकी स्तुति करते हैं।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
श्लोक:
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
अर्थ:
यमराज, कुबेर और दिगपाल जैसे देवता भी आपकी महिमा का वर्णन करने में असमर्थ हैं, तो फिर कवि और विद्वान भी आपकी महिमा को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर सकते। यहाँ हनुमान जी की अतुलनीय महिमा को बताया गया है कि इसे किसी भी व्यक्ति द्वारा संपूर्णता में वर्णित नहीं किया जा सकता।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
श्लोक:
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
अर्थ:
हनुमान जी ने सुग्रीव पर उपकार किया और उन्हें भगवान राम से मिलाया, जिससे सुग्रीव को अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त हुआ। इस चौपाई में हनुमान जी के एक सच्चे मित्र और मददगार की भूमिका को दिखाया गया है।
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
श्लोक:
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
अर्थ:
विभीषण ने हनुमान जी का मंत्र माना और वह लंका के राजा बने। इस चौपाई में हनुमान जी के दिव्य परामर्श और विभीषण को सफल राजा बनाने के उनके योगदान का उल्लेख है।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु
श्लोक:
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
अर्थ:
हनुमान जी ने बाल्यकाल में सूर्य को हजारों योजन दूर देखकर मधुर फल समझकर निगल लिया। यह चौपाई हनुमान जी की अद्वितीय शक्ति और साहस को दर्शाती है।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
श्लोक:
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
अर्थ:
हनुमान जी ने भगवान राम की मुद्रिका (अंगूठी) को अपने मुख में रख लिया और समुद्र को लांघकर लंका पहुँच गए। इस चौपाई में हनुमान जी की अद्वितीय वीरता और उनके द्वारा असंभव कार्य को संभव बनाने का वर्णन किया गया है।
दुर्गम काज जगत के जेते
श्लोक:
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
अर्थ:
संसार के जितने भी कठिन कार्य हैं, वे हनुमान जी की कृपा से आसान हो जाते हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की कृपा से असंभव कार्य भी सरल हो जाते हैं।
राम दुआरे तुम रखवारे
श्लोक:
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
अर्थ:
हनुमान जी भगवान राम के द्वार के रक्षक हैं, बिना उनकी आज्ञा के वहाँ कोई प्रवेश नहीं कर सकता। यहाँ हनुमान जी की भगवान राम के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण को दिखाया गया है।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
श्लोक:
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति आपकी शरण में आता है, उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं रहता क्योंकि आप उसके रक्षक हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की शरण में आने से जीवन में सुख और सुरक्षा मिलती है।
आपन तेज सम्हारो आपै
श्लोक:
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तै काँपै॥
अर्थ:
हनुमान जी अपने तेज को स्वयं संभालते हैं और जब वे अपने तेज का प्रकट करते हैं, तो तीनों लोक काँप जाते हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की शक्ति और उनका तेज कितना प्रबल है।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै
श्लोक:
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥
अर्थ:
जहाँ हनुमान जी का नाम लिया जाता है, वहाँ भूत-पिशाच (दुष्ट आत्माएं) भी पास नहीं आतीं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी का नाम मात्र ही भय और दुष्ट शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
नासै रोग हरै सब पीरा
श्लोक:
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
अर्थ:
हनुमान जी के नाम का निरंतर जाप करने से सभी रोग नष्ट हो जाते हैं और दुख भी दूर हो जाते हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी के भक्त अपने सभी प्रकार के कष्टों और बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं।
संकट तै हनुमान छुडावै
श्लोक:
संकट तै हनुमान छुडावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
अर्थ:
जो व्यक्ति मन, वचन और कर्म से हनुमान जी का ध्यान करता है, उसे सभी संकटों से हनुमान जी मुक्त कर देते हैं। यह चौपाई बताती है कि सच्ची भक्ति और ध्यान से हनुमान जी अपने भक्तों को हर संकट से बचाते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा
श्लोक:
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
अर्थ:
हनुमान जी भगवान राम, जो सबसे बड़े तपस्वी राजा हैं, के सभी कार्यों को पूर्ण करने वाले हैं। इस चौपाई में हनुमान जी के रामजी के प्रति उनकी सेवाभावना का वर्णन है, जहाँ उन्होंने रामजी के हर कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न किया।
और मनोरथ जो कोई लावै
श्लोक:
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति अपने मन की इच्छाओं को लेकर हनुमान जी के पास आता है, उसे अनंत फल की प्राप्ति होती है। यह चौपाई हनुमान जी की कृपा से भक्तों की सभी इच्छाओं के पूर्ण होने का संकेत देती है।
चारों जुग परताप तुम्हारा
श्लोक:
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
अर्थ:
हनुमान जी का पराक्रम चारों युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग) में प्रसिद्ध है और उनका प्रकाश संपूर्ण संसार में फैलता है। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की महिमा और उनका पराक्रम युगों-युगों तक फैला हुआ है।
साधु सन्त के तुम रखवारे
श्लोक:
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अर्थ:
हनुमान जी साधु-संतों के रक्षक हैं और असुरों का संहार करते हैं। वे भगवान राम के अत्यंत प्रिय हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी धर्म के रक्षक और अधर्म के विनाशक हैं।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
श्लोक:
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
अर्थ:
हनुमान जी अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों के दाता हैं। उन्हें यह वरदान माता जानकी (सीता) ने दिया है। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की कृपा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां और संपदाएं प्राप्त हो सकती हैं।
राम रसायन तुम्हरे पासा
श्लोक:
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
अर्थ:
हनुमान जी के पास राम नाम की अमृतमयी औषधि है, जो सभी कष्टों को दूर करती है। वे सदैव भगवान राम के सेवक के रूप में रहते हैं। यह चौपाई हनुमान जी की राम भक्ति और उनकी निष्ठा को दर्शाती है।
तुम्हरे भजन राम को पावै
श्लोक:
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति हनुमान जी का भजन करता है, वह भगवान राम को प्राप्त कर लेता है और उसके कई जन्मों के दुख समाप्त हो जाते हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की भक्ति करने से भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
अंतकाल रघुवरपुर जाई
श्लोक:
अंतकाल रघुवरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति हनुमान जी की भक्ति करता है, वह अंत समय में भगवान राम के धाम को जाता है और हर जन्म में हरिभक्त के रूप में पैदा होता है। इस चौपाई में बताया गया है कि हनुमान जी की भक्ति से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
और देवता चित्त ना धरई
श्लोक:
और देवता चित्त ना धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
अर्थ:
अन्य देवताओं की भक्ति में मन नहीं लगाना चाहिए। केवल हनुमान जी की सेवा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी की भक्ति ही सभी प्रकार के सुखों और संकटों से मुक्ति का मार्ग है।
संकट कटै मिटै सब पीरा
श्लोक:
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति वीर हनुमान जी का स्मरण करता है, उसके सभी संकट कट जाते हैं और उसके जीवन की सभी पीड़ाएं मिट जाती हैं। यह चौपाई बताती है कि हनुमान जी का नाम लेने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
जै जै जै हनुमान गोसाईं
श्लोक:
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
अर्थ:
हनुमान जी की जय-जयकार करते हुए भक्त उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे उन पर गुरु के समान कृपा करें। यहाँ भक्त हनुमान जी को अपना गुरु मानकर उनसे कृपा की याचना करते हैं।
जो सत बार पाठ कर कोई
श्लोक:
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करता है, वह सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है और उसे महान सुखों की प्राप्ति होती है। यह चौपाई हनुमान चालीसा के पाठ की महिमा को बताती है।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
श्लोक:
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
अर्थ:
जो भी व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसे सफलता प्राप्त होती है और इस बात की साक्षी माता पार्वती (गौरी) स्वयं देती हैं। इस चौपाई में हनुमान चालीसा के पाठ की महत्ता और फलप्राप्ति का उल्लेख है।
तुलसीदास सदा हरि चेरा
श्लोक:
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥
अर्थ:
तुलसीदास जी सदैव भगवान राम के दास हैं और वे हनुमान जी से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके हृदय में निवास करें। इस चौपाई में तुलसीदास की भगवान हनुमान के प्रति असीम भक्ति और प्रेम का वर्णन है।
पवन तनय संकट हरन
श्लोक:
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
अर्थ:
हनुमान जी, जो पवन देव के पुत्र हैं और सभी संकटों को हरने वाले हैं, मंगलमय रूप वाले हैं। भगवान राम, लक्ष्मण, और सीता के साथ वे सदैव भक्त के हृदय में निवास करें। इस दोहे में भक्त भगवान हनुमान से निवेदन करता है कि वे उनके जीवन में सभी संकटों को हरें और सदा उनके हृदय में विराजमान रहें।
हनुमान चालीसा का आध्यात्मिक महत्व
हनुमान चालीसा एक शक्तिशाली स्तोत्र है जिसे पढ़ने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके पाठ से व्यक्ति न केवल अपने भौतिक जीवन में सफल होता है, बल्कि उसे मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास भी प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है, विशेष रूप से तब जब वह किसी कठिनाई या संकट का सामना कर रहा हो।
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से साधक के जीवन में निम्नलिखित लाभ होते हैं:
1. संकटों से मुक्ति:
हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट, चाहे वे मानसिक, शारीरिक या आर्थिक हों, धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। संकट आने पर हनुमान चालीसा का पाठ विशेष रूप से प्रभावी माना गया है, खासकर मंगलवार और शनिवार के दिन।
2. सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
हनुमान चालीसा के शब्द और श्लोक अत्यंत प्रभावशाली होते हैं, जो व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह नकारात्मकता और अवसाद को दूर करके मानसिक शांति प्रदान करता है। चालीसा का पाठ घर में नियमित करने से घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है।
3. सिद्धि और विद्या का आशीर्वाद:
हनुमान चालीसा में हनुमान जी को विद्या और सिद्धियों का दाता कहा गया है। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। यह विशेष रूप से विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए लाभकारी है।
4. रोगों का नाश:
चालीसा के अनुसार, हनुमान जी के नाम का जाप करने से सभी प्रकार के रोग और दुख दूर होते हैं। इस पाठ से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह रोग-निवारक उपाय के रूप में भी देखा जाता है, विशेषकर जब व्यक्ति दीर्घकालीन बीमारियों से पीड़ित हो।
5. भूत-प्रेत से मुक्ति:
चालीसा के कुछ श्लोक विशेष रूप से भूत-प्रेत, पिशाच और दुष्ट शक्तियों से मुक्ति दिलाने वाले हैं। हनुमान जी का नाम लेने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर भागती हैं और व्यक्ति सुरक्षित रहता है। इसलिए इसे घर या कार्यस्थल पर सुरक्षा के लिए भी पढ़ा जाता है।
6. भक्ति और भजनों की महिमा:
हनुमान चालीसा में हनुमान जी की रामभक्ति का बार-बार उल्लेख किया गया है। यह पाठ भक्तों को सिखाता है कि सच्ची भक्ति ही व्यक्ति को अपने इष्ट से जोड़ सकती है। भगवान राम की भक्ति के बिना जीवन अधूरा है, और हनुमान चालीसा इस भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
हनुमान चालीसा के पाठ के नियम
- शुद्धता: हनुमान चालीसा का पाठ करते समय शरीर और मन की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर इसे पढ़ना चाहिए।
- समय: हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, परंतु सुबह और संध्या का समय सबसे उपयुक्त माना गया है। हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष महत्वपूर्ण होता है।
- स्थान: चालीसा का पाठ किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर करना चाहिए। यदि मंदिर में पाठ किया जाए तो उसका प्रभाव और भी अधिक होता है।
- भावना: पाठ करते समय मन में हनुमान जी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा होनी चाहिए। हनुमान चालीसा केवल शब्दों का पाठ नहीं, बल्कि हनुमान जी के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
हनुमान जी के विभिन्न रूप
हनुमान जी के अनेक रूप हैं जिनमें भक्तों के लिए अलग-अलग संदेश छिपे हैं। हनुमान जी को उनके विभिन्न नामों और रूपों में पूजा जाता है जैसे:
- वीर हनुमान: इस रूप में वे सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने वाले और पराक्रम के प्रतीक हैं।
- भक्त हनुमान: इस रूप में वे भगवान राम के अनन्य भक्त हैं, जिनका जीवन केवल सेवा और भक्ति के लिए समर्पित है।
- बाल हनुमान: इस रूप में उनकी चपलता और नटखट स्वभाव दिखता है, जो हमें जीवन में सरलता और सहजता से जीने का संदेश देता है।
हनुमान चालीसा के विशेष श्लोकों का महत्व
हनुमान चालीसा के कुछ श्लोक विशेष शक्तिशाली माने जाते हैं:
- “भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै”: इस श्लोक का उच्चारण करने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
- “नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा”: यह श्लोक विशेष रूप से रोग निवारण के लिए प्रभावी माना जाता है।