- – कविता में हनुमान जी राम की खोज में लगे हुए हैं और बार-बार पूछा जा रहा है कि “किसी ने मेरे राम देखे”।
- – राम को विभिन्न प्रसंगों में दर्शाया गया है, जैसे विश्वामित्र के साथ, ताड़का को मारते हुए, केवट के साथ नाव में, चित्रकूट में तिलक लगाते हुए।
- – शबरी के घर मीठे बैर खाते हुए और रणभूमि में तीर चलाते हुए भी राम को देखा गया है।
- – कविता में राम और हनुमान के बीच गहरा संबंध और भक्ति भाव प्रकट होता है।
- – राम को भगवान के रूप में वन जाते हुए भी देखा गया है, जो उनकी दिव्यता को दर्शाता है।
- – यह कविता रामायण के विभिन्न प्रसंगों को याद करते हुए राम की भक्ति और उनकी खोज की भावना को उजागर करती है।

हनुमत ढूंढ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे,
बजरंग पूछ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे,
राम देखे भगवान देखे,
राम देखे भगवान देखे,
वन को जाते हुए,
किसी ने प्रभु राम देखे।।
तर्ज – राधा ढूंढ रही किसी ने।
हनुमत तेरे राम,
विश्वामित्र संग देखे,
ताड़का को मारते हुए,
हनुमान तेरे राम देखे,
हनुमत ढूंढ़ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे।।
हनुमत तेरे राम मैंने,
केवट संग देखे,
नैया में बैठे हुए,
हनुमान तेरे राम देखे,
हनुमत ढूंढ़ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे।।
हनुमत तेरे राम,
चित्रकूट पे बैठे,
तिलक लगाते हुए,
हनुमान तेरे राम देखे,
हनुमत ढूंढ़ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे।।
हनुमत तेरे राम मैंने,
शबरी घर देखे,
मीठे बैर खाते हुए,
हनुमान तेरे राम देखे,
हनुमत ढूंढ़ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे।।
हनुमत तेरे राम,
रणभूमि में देखे,
तीर चलाते हुए,
हनुमान तेरे राम देखे,
हनुमत ढूंढ़ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे।।
हनुमत ढूंढ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे,
बजरंग पूछ रहे,
किसी ने मेरे राम देखे,
राम देखे भगवान देखे,
राम देखे भगवान देखे,
वन को जाते हुए,
किसी ने प्रभु राम देखे।।
