हरिवरासनं in Hindi/Sanskrit
॥ श्रीहरिहरात्मजाष्टकम् ॥
हरिवरासनं विश्वमोहनम्
हरिदधीश्वरमाराध्यपादुकम् ।
अरिविमर्दनं नित्यनर्तनम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ १ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
चरणकीर्तनं भक्तमानसम्
भरणलोलुपं नर्तनालसम् ।
अरुणभासुरं भूतनायकम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ २ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
प्रणयसत्यकं प्राणनायकम्
प्रणतकल्पकं सुप्रभाञ्चितम् ।
प्रणवमन्दिरं कीर्तनप्रियम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ३ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
तुरगवाहनं सुन्दराननम्
वरगदायुधं वेदवर्णितम् ।
गुरुकृपाकरं कीर्तनप्रियम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ४ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
त्रिभुवनार्चितं देवतात्मकम्
त्रिनयनप्रभुं दिव्यदेशिकम् ।
त्रिदशपूजितं चिन्तितप्रदम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ५ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
भवभयापहं भावुकावकम्
भुवनमोहनं भूतिभूषणम् ।
धवलवाहनं दिव्यवारणम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ६ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
कलमृदुस्मितं सुन्दराननम्
कलभकोमलं गात्रमोहनम् ।
कलभकेसरीमाजिवाहनम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ७ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
श्रितजनप्रियं चिन्तितप्रदम्
श्रुतिविभूषणं साधुजीवनम् ।
श्रुतिमनोहरं गीतलालसम्
हरिहरात्मजं देवमाश्रये ॥ ८ ॥
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा ।
॥ इति श्री हरिहरात्मजाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
Harivarasanam in English
Shri Hariharatmajashtakam
Harivarasanam Vishwamohanam
Haridadhishwaramaradhya Padukam।
Arivimardanam Nityanartanam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 1 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Charanakeertanam Bhakta Manasam
Bhara Lolupam Nartanalasam।
Arunabhasuram Bhootanayakam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 2 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Pranayasatyakam Prananayakam
Pranatakalpakam Suprabhanchitam।
Pranavamandiram Keertana Priyam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 3 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Turagavahanam Sundarananam
Varagadayudham Vedavarnitam।
Gurukripakaram Keertana Priyam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 4 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Tribhuvanarchitam Devatatmakam
Trinayanaprabhum Divyadeshikam।
Tridashapoojitam Chintitapradam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 5 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Bhavabhayapaham Bhavukavakam
Bhuvanamohanam Bhootibhooshanam।
Dhawalavahanam Divyavaranam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 6 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Kalamrutusmitam Sundarananam
Kalabhakomalam Gatramohanam।
Kalabhakesareemajivahanam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 7 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Shritajanapriyam Chintitapradam
Shrutivibhooshanam Sadhujeevanam।
Shrutimanoharam Geetalalasam
Hariharatmajam Devam Ashraye॥ 8 ॥
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
Sharanam Ayyappa Swami Sharanam Ayyappa।
॥ Iti Shri Hariharatmajashtakam Sampurnam ॥
श्रीहरिहरात्मजाष्टकम् PDF Download
श्रीहरिहरात्मजाष्टकम् का अर्थ
हरिवरासनं विश्वमोहनम्
यह पंक्ति भगवान अय्यप्पा की महिमा का वर्णन करती है। “हरिवरासनं” का अर्थ है हरि (विष्णु) के सिंहासन पर विराजमान, “विश्वमोहनम्” का अर्थ है जो पूरे विश्व को मोहित करने वाले हैं। यह पंक्ति भगवान अय्यप्पा की शक्ति और सौंदर्य को दर्शाती है, जो अपनी महिमा से विश्व को मोहित करते हैं।
हरिदधीश्वरमाराध्यपादुकम्
यहां “हरिदधीश्वर” भगवान विष्णु और शिव का संयुक्त स्वरूप है, जिनकी आराधना की जाती है। “माराध्यपादुकम्” का अर्थ है उनकी चरण पादुकाओं की पूजा करना। यह बताता है कि भगवान अय्यप्पा की पादुकाएं उनकी भक्ति और आराधना का प्रतीक हैं।
अरिविमर्दनं नित्यनर्तनम्
“अरिविमर्दनम्” का अर्थ है शत्रुओं का नाश करने वाला, और “नित्यनर्तनम्” का अर्थ है जो हमेशा नृत्य करता रहता है। यह भगवान अय्यप्पा के शत्रु नाशक स्वरूप और उनके नित्य नृत्य को संदर्भित करता है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
इस पंक्ति का अर्थ है “हरिहरात्मज” अर्थात् हरि (विष्णु) और हर (शिव) के पुत्र अय्यप्पा देवता की शरण में जाता हूं। यह भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाता है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का उद्घोष है, जो भक्तों द्वारा उनके प्रति पूरी निष्ठा और समर्पण व्यक्त करता है।
चरणकीर्तनं भक्तमानसम्
यह पंक्ति भगवान अय्यप्पा की चरणों में गाए जाने वाले कीर्तन का उल्लेख करती है। “चरणकीर्तनं” का अर्थ है उनके चरणों की भक्ति में गाया जाने वाला गीत, जो भक्तों के मन में गहरा स्थान रखता है।
भरणलोलुपं नर्तनालसम्
इसका अर्थ है कि भगवान अय्यप्पा समस्त ब्रह्मांड का पालन करने वाले हैं, और “नर्तनालसम्” का अर्थ है नृत्य में तल्लीन। भगवान का यह रूप उनके नित्य नृत्य और जगत के पालनकर्ता के रूप में वर्णित है।
अरुणभासुरं भूतनायकम्
“अरुणभासुरम्” का अर्थ है जो सूर्य की तरह चमकते हैं, और “भूतनायकम्” का अर्थ है सभी प्राणियों के स्वामी। यह भगवान अय्यप्पा के तेजस्वी स्वरूप और उनके जगत के स्वामी होने की ओर संकेत करता है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
फिर से, हरि और हर के पुत्र भगवान अय्यप्पा की शरण लेने का भाव यहां व्यक्त किया गया है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का उद्घोष है, जो भक्तों की पूर्ण समर्पण भावना को प्रकट करता है।
प्रणयसत्यकं प्राणनायकम्
इस पंक्ति में भगवान अय्यप्पा को सत्य और प्रेम के प्रतीक रूप में वर्णित किया गया है। “प्रणयसत्यकं” का अर्थ है प्रेम और सत्य के प्रति निष्ठावान, और “प्राणनायकम्” का अर्थ है सभी जीवों के नायक।
प्रणतकल्पकं सुप्रभाञ्चितम्
“प्रणतकल्पकं” का अर्थ है जो भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं, और “सुप्रभाञ्चितम्” का अर्थ है जो तेजस्वी और सुंदर रूप से सुशोभित हैं। यह भगवान अय्यप्पा की कृपालुता और तेजस्वी स्वरूप का वर्णन करता है।
प्रणवमन्दिरं कीर्तनप्रियम्
“प्रणवमन्दिरम्” का अर्थ है ओम के मंदिर रूपी भगवान, और “कीर्तनप्रियम्” का अर्थ है जो भक्तों के भजन-कीर्तन को पसंद करते हैं। यह भगवान अय्यप्पा के आध्यात्मिक स्वरूप और उनके भक्तिपूर्ण रूप का उल्लेख है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
फिर से, हरि और हर के पुत्र भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का भाव व्यक्त किया गया है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह बार-बार भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का उद्घोष है, जो उनकी कृपा पाने की अभिलाषा को दर्शाता है।
तुरगवाहनं सुन्दराननम्
“तुरगवाहनम्” का अर्थ है घोड़े की सवारी करने वाला, और “सुन्दराननम्” का अर्थ है सुंदर मुखमंडल वाले। यह भगवान अय्यप्पा के घुड़सवार स्वरूप और उनके आकर्षक सौंदर्य को दर्शाता है।
वरगदायुधं वेदवर्णितम्
“वरगदायुधम्” का अर्थ है गदा (मेस) धारण करने वाला, और “वेदवर्णितम्” का अर्थ है जिसे वेदों में वर्णित किया गया है। यह भगवान के शस्त्र धारण करने और उनके वैदिक वर्णन का प्रतीक है।
गुरुकृपाकरं कीर्तनप्रियम्
“गुरुकृपाकरम्” का अर्थ है गुरु की कृपा देने वाला, और “कीर्तनप्रियम्” का अर्थ है जो कीर्तन को प्रिय मानते हैं। भगवान अय्यप्पा का यह रूप उनकी गुरु कृपा और भक्ति को प्रिय मानने का सूचक है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
हरि और हर के पुत्र भगवान अय्यप्पा की शरण लेने का भाव यहां फिर से व्यक्त किया गया है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का उद्घोष है, जो उनके प्रति समर्पण और विश्वास को दर्शाता है।
अभी आगे के श्लोकों का अर्थ जारी…
त्रिभुवनार्चितं देवतात्मकम्
इस पंक्ति में भगवान अय्यप्पा की महिमा का वर्णन किया गया है। “त्रिभुवनार्चितम्” का अर्थ है कि उन्हें तीनों लोकों के निवासी पूजते हैं, और “देवतात्मकम्” का अर्थ है जो देवताओं के स्वामी हैं। यह भगवान अय्यप्पा के दिव्य और सर्वव्यापी स्वरूप को दर्शाता है।
त्रिनयनप्रभुं दिव्यदेशिकम्
“त्रिनयनप्रभुं” का अर्थ है तीन नेत्रों वाले भगवान (शिव के स्वरूप का संदर्भ), और “दिव्यदेशिकम्” का अर्थ है दिव्य गुरु या मार्गदर्शक। भगवान अय्यप्पा का यह रूप दिव्य प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है।
त्रिदशपूजितं चिन्तितप्रदम्
इसका अर्थ है कि भगवान अय्यप्पा देवताओं द्वारा पूजित हैं (“त्रिदशपूजितम्”) और वे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं (“चिन्तितप्रदम्”)। यह उनकी कृपालुता और भक्तों के प्रति उनकी करुणा को दर्शाता है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
फिर से, हरि (विष्णु) और हर (शिव) के पुत्र भगवान अय्यप्पा की शरण लेने की प्रार्थना की गई है, जो भक्ति का भाव प्रकट करती है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह पंक्ति बार-बार भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का उद्घोष है, जो भक्तों की समर्पण भावना को दर्शाता है।
भवभयापहं भावुकावकम्
“भवभयापहम्” का अर्थ है जो जन्म और मृत्यु के चक्र से भय को दूर करते हैं, और “भावुकावकम्” का अर्थ है जिनका भावुक हृदय है। भगवान अय्यप्पा का यह स्वरूप उनके भक्तों के प्रति करुणा और प्रेम का प्रतीक है।
भुवनमोहनं भूतिभूषणम्
“भुवनमोहनम्” का अर्थ है जो पूरे संसार को मोह लेते हैं, और “भूतिभूषणम्” का अर्थ है जो भस्म (राख) को अपने शरीर पर धारण करते हैं। यह भगवान अय्यप्पा के मोहक और तपस्वी रूप का वर्णन करता है।
धवलवाहनं दिव्यवारणम्
“धवलवाहनम्” का अर्थ है जो सफेद हाथी की सवारी करते हैं, और “दिव्यवारणम्” का अर्थ है जो दिव्य हाथी की सवारी करने वाले हैं। यह भगवान अय्यप्पा की दिव्यता और शक्ति का प्रतीक है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
हरि और हर के पुत्र भगवान अय्यप्पा की शरण लेने की प्रार्थना की गई है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का उद्घोष है, जो भक्तों की समर्पण भावना को व्यक्त करता है।
कलमृदुस्मितं सुन्दराननम्
“कलमृदुस्मितम्” का अर्थ है भगवान का कोमल और मनमोहक मुस्कान, और “सुन्दराननम्” का अर्थ है सुंदर मुखमंडल। यह भगवान अय्यप्पा के सौंदर्य और सौम्यता का वर्णन है।
कलभकोमलं गात्रमोहनम्
इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान अय्यप्पा का शरीर हाथी के बच्चे की तरह कोमल है, और “गात्रमोहनम्” का अर्थ है उनका आकर्षक शरीर। यह भगवान के कोमल और मनमोहक रूप का वर्णन करता है।
कलभकेसरीमाजिवाहनम्
“कलभकेसरीमाजिवाहनम्” का अर्थ है जो सिंह पर सवारी करते हैं, यह भगवान अय्यप्पा के शक्तिशाली और शूरवीर रूप का उल्लेख है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
फिर से, हरि और हर के पुत्र भगवान अय्यप्पा की शरण लेने की प्रार्थना की गई है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का उद्घोष है, जो भक्तों की पूर्ण समर्पण भावना को प्रकट करता है।
श्रितजनप्रियं चिन्तितप्रदम्
“श्रितजनप्रियम्” का अर्थ है जो अपने शरण में आए हुए भक्तों के प्रिय हैं, और “चिन्तितप्रदम्” का अर्थ है जो भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। भगवान अय्यप्पा की कृपालुता और भक्तों के प्रति करुणा का वर्णन इस पंक्ति में किया गया है।
श्रुतिविभूषणं साधुजीवनम्
“श्रुतिविभूषणम्” का अर्थ है जो वेदों और उपनिषदों में स्तुति किए गए हैं, और “साधुजीवनम्” का अर्थ है जो साधु-संतों का जीवन धन्य करते हैं। यह भगवान के महान और संतों द्वारा पूजनीय रूप का वर्णन करता है।
श्रुतिमनोहरं गीतलालसम्
इसका अर्थ है कि भगवान अय्यप्पा वेदों के मनमोहक शब्दों से सुशोभित हैं और उन्हें भक्तों के गीत और भजन प्रिय हैं। यह उनकी भक्ति और संगीत के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
हरिहरात्मजं देवमाश्रये
हरि और हर के पुत्र भगवान अय्यप्पा की शरण लेने की प्रार्थना की गई है, जो भक्ति का गहन भाव प्रकट करता है।
शरणं अय्यप्पा स्वामी शरणं अय्यप्पा
यह भगवान अय्यप्पा की शरण में जाने का समर्पित उद्घोष है, जो भक्तों की आस्था और विश्वास को प्रकट करता है।
समाप्ति
यहां श्रीहरिहरात्मजाष्टकम् की समाप्ति होती है। इस स्तुति के माध्यम से भगवान अय्यप्पा की महिमा का वर्णन करते हुए उनकी शरण लेने का भाव प्रकट किया गया है।