- – यह गीत राजस्थान के इंदरगढ़ और चितौड़गढ़ क्षेत्रों की सांस्कृतिक और पारंपरिक भावनाओं को दर्शाता है।
- – गीत में “सुवटिया” शब्द का बार-बार उपयोग हुआ है, जो किसी प्रिय या सम्मानित व्यक्ति को संबोधित करता प्रतीत होता है।
- – विभिन्न पारंपरिक वस्तुओं और स्थानों जैसे ठाकरा, तलवार, जाटा, घांचीया, तेलिया, मालिया के बगीचे आदि का उल्लेख किया गया है।
- – गीत में स्थानीय जीवन, परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करता है।
- – गायक घांची ललित लहरिया मेड़ता और गजेंद्र अजमेरा द्वारा प्रस्तुत यह गीत क्षेत्रीय लोक संगीत का एक सुंदर उदाहरण है।

हरिया हरिया बागा में,
बोल रे सुवटिया,
भजना की तो लागी,
फटकार मारा सुवटिया,
इंदर गढ़ रो सुवटियो,
चितौड़गढ़ रो सुवटियो।।
ठाकरा की पोल माथे,
बोल रे सुवटिया,
तलवारा की लागी फटकार,
मारा सुवटिया,
इंदर गढ़ रो सुवटियो,
चितौड़गढ़ रो सुवटियो।।
जाटा रा झरोखा माथे,
बोल रे सुवटिया,
जेवड़िया री लागी फटकार,
मारा सुवटिया,
इंदर गढ़ रो सुवटियो,
चितौड़गढ़ रो सुवटियो।।
घांचीया की घाणीया माथे,
बोल मारा सुवटिया,
तेलिया रा त्रिपोलिया माथे,
बोल मारा सुवटिया,
लाठ की तो लागे फटकार,
मारा सुवटिया,
इंदर गढ़ रो सुवटियो,
चितौड़गढ़ रो सुवटियो।।
मालिया के बगीचा माथे,
बोल मारा सुवटिया,
फूला की तो लागी फटकार,
मारा सुवटिया,
इंदर गढ़ रो सुवटियो,
चितौड़गढ़ रो सुवटियो।।
अजमेरो तो गायो सुवटियो,
घांची ललित लहरियो,
गायो सुवटियो,
इंदर गढ़ रो सुवटियो,
चितौड़गढ़ रो सुवटियो।।
प्रेषक –
गायक- घांची ललित लहरिया मेड़ता,
गजेंद्र अजमेरा 09829253446,8875214960
https://www.youtube.com/watch?v=ILWP7N44f_c
