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- – यह कविता हिन्दू धर्म और भारत माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करती है।
- – भगवा ध्वज को हाथ में उठाने का आह्वान करते हुए श्री राम और कौशल्या माता की जय बोलने का संदेश देती है।
- – कविता में वीरों के बलिदान और ऋषि-मुनि, संतों की प्रसन्नता का उल्लेख है।
- – जात-पात को छोड़कर सभी हिन्दुओं को एकजुट होकर धर्म और मातृभूमि की रक्षा करने का आग्रह किया गया है।
- – केसरिया तिलक और भगवा रंग को हिन्दू पहचान और गौरव के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

हाथ में भगवा उठाए,
जय बोलो श्री राम की,
जय बोलो श्री राम की,
जय कौशल्या लाल की,
हाथ मे भगवा उठाए,
जय बोलो श्री राम की।।
तुमको पुकारती ये,
भूमि भारत मात की,
चल पड़ो ऐ हिन्दू तुम्हे,
कसम हिंदुस्तान की,
वीरों के बलिदान की,
हाथ मे भगवा उठाए,
जय बोलो श्री राम की।।
ऋषि मुनि संत सभी,
देव हर्षाए है,
भारत माँ के वीर हिन्दू,
भगवा लेकर आए है,
चलो सारे हिन्दू बात,
छोड़ जात पात की,
हाथ मे भगवा उठाए,
जय बोलो श्री राम की।।
केसरिया तिलक है और,
हाथों में आरती,
भूमि का रथ है और,
पवन देव सारथि,
चमक रही ज्योति आज,
हिन्दू के ललाट की,
हाथ मे भगवा उठाए,
जय बोलो श्री राम की।।
हाथ में भगवा उठाए,
जय बोलो श्री राम की,
जय बोलो श्री राम की,
जय कौशल्या लाल की,
हाथ मे भगवा उठाए,
जय बोलो श्री राम की।।
Suggested By –
पंकज बेरवा, 7568470715
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
