- – यह कविता निर्भयता और आत्मविश्वास बनाए रखने का संदेश देती है, जिसमें दुनियादारी और भेदभाव से दूर रहने की बात कही गई है।
- – सत्संग और सच्चे ज्ञान की महत्ता पर जोर देते हुए, यह जीवन में सच्चाई और भक्ति को अपनाने की प्रेरणा देती है।
- – धन-गरीबी और मन की शांति को संतुलित रखने का महत्व बताया गया है, साथ ही दया और करुणा की भावना बनाए रखने की अपील है।
- – गुरु के चरणों में शीश झुकाने और उनके वचनों का पालन करने की सलाह दी गई है, जिससे जीवन में सही मार्गदर्शन मिलता है।
- – कबीर के शब्दों को सुनकर मन को शीतल और शांत बनाने का संदेश दिया गया है, जो आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है।

हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे,
दुनियादारी औगणकारी जाने,
भेद मत दईजे रे,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
इण काया में अष्ट कमल हैं,
इण काया में हो,
ओ इण काया में अष्ट कमल,
ज्योरी निंगे कराइजे ए,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
सत री संगत में,
सत संगत में बैठ सुहागण,
साच कमाइजे ए ए ए,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
धन में गरीबी,
मन में फकीरी,
धन में गरीबी हो ओ,
धन में गरीबी मन में फकीरी,
दया भावना राखिजे ए,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
ज्ञान झरोखे ए ए,
ज्ञान झरोखे बैठ सुहागण,
झालो दईजे ए ए,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
त्रिवेणी घर,
तीन पदमणी ,
त्रिवेणी घर हो ओ त्रिवेणी घर,
उने जाए बतालाईजे रे,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
सत बाण पर अ अ,
सत बाण पर सत बाण पर,
बैठ सुहागण,
सीधी आईजे ए ए,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
हरी चरणों में शीश झुकाईजे,
हरी चरणों में हो ओ,
हरी चरणों में शीश झुकाईजे,
गुरु वचनों में रहीजे ए,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
कहेत कबीर सुणों भाई साधू,
शीतल होइजे ए ए,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे,
दुनियादारी औगणकारी जाने,
भेद मत दईजे रे,
हेली म्हारी निर्भय रहीजे रे।।
Singer : Prakash Mali
Submitted By –
Prakash suthar
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