- – यह गीत भोलेनाथ (भगवान शिव) की भक्ति और उनकी चरणों में शरण लेने की विनती करता है।
- – गीत में भक्त अपने प्रेम और समर्पण के साथ फल, फूल, बेल पात, भंग और धतूरा जैसी पूजा सामग्री लेकर भोलेनाथ के चरणों में आने का वर्णन है।
- – भक्त अपने मन की प्यास और प्रेम को व्यक्त करते हुए भगवान के दर्शन की तीव्र इच्छा जताते हैं।
- – गीत में भगवान शिव को अपने जीवन में बसाने और दया करने की बार-बार प्रार्थना की गई है।
- – यह भक्ति गीत श्रद्धा, प्रेम और समर्पण की भावना से ओतप्रोत है, जो भक्त और भगवान के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है।

हे भोले नाथ दया करके,
अब मुझे बसा लो चरणन में,
हे भोले नाथ दया कर के,
अब मुझे बसा लो चरणन में।।
तर्ज – श्यामा आन बसों वृन्दावन में।
फल फुल की थाली लायी हूँ,
चरणों में तुम्हरे आयी हूँ,
तुम्हे अपने बसाकर नैनन में,
अब मुझे बसा लो चरणन में।
हे भोले नाथ दया कर के,
अब मुझे बसा लो चरणन में।।
बेल पात की थाली लायी हूँ,
दर्शन को तुम्हारे आई हूँ,
तुम्हे देख लूँ मन के दर्पण में,
अब मुझे बसा लो चरणन में।
हे भोले नाथ दया कर के,
अब मुझे बसा लो चरणन में।।
मैं भंग धतूरा लायी हूँ,
मैं दर दर की ठुकराई हूँ,
मुझे दे दो शरण बस चरणन में,
अब मुझे बसा लो चरणन में।
हे भोले नाथ दया कर के,
अब मुझे बसा लो चरणन में।।
तेरा नाम का सुमिरन करती हूँ,
यही रो रो कर बस कहती हूँ,
तेरे दर्श की प्यास है अखियन में,
अब मुझे बसा लो चरणन में।
हे भोले नाथ दया कर के,
अब मुझे बसा लो चरणन में।।
तेरा प्रेम हमारी पूजा है,
कोई और ना मन में दूजा है,
तुम छिपे हो मन के बगियन में,
अब मुझे बसा लो चरणन में।
हे भोले नाथ दया कर के,
अब मुझे बसा लो चरणन में।।
हे भोले नाथ दया करके,
अब मुझे बसा लो चरणन में,
हे भोले नाथ दया कर के,
अब मुझे बसा लो चरणन में।।
Singer : Tripti Shakya
