- – यह गीत भगवान कृष्ण की महिमा और उनकी संकटमोचन भूमिका का वर्णन करता है।
- – गीत में कृष्ण को “खिवैया” अर्थात नाविक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो जीवन की नाव को पार लगाते हैं।
- – भक्तों की पीड़ा और संकटों को समझते हुए, कृष्ण से सहायता और मार्गदर्शन की प्रार्थना की गई है।
- – गीत में कृष्ण की लीलाओं, रूप और प्रेम की भी प्रशंसा की गई है।
- – यह गीत भक्ति और श्रद्धा से भरा हुआ है, जो भक्तों को विश्वास और सांत्वना प्रदान करता है।

हे गिरधारी कृष्ण मुरारी,
नैया करदो पार,
खिवैया बन जावो,
संकटहारी अर्ज गुजारी,
लीलै का असवार,
खिवैया बन जावो।।
कईया रूस्या बैठ्या हो,
बोलो जी कुछ बोलो जी,
रीस करो क्यूँ टाबर पे,
आंख्यां तो प्रभु खोलो जी,
झर झर रोवै मन को पंछी,
हिवड़ै रा आधार,
खिवैया बन जावो।।
थे रूस्या ना पार पड़े,
थां सूँ प्रीत पुराणी है,
मुळक्यां सरसी सांवरिया,
निठुराई क्यूँ ठानी है,
दीनानाथ नाथ पुकारै,
दुखिया थारै द्वार,
खिवैया बन जावो।।
कुंज बिहारी बनवारी,
मनड़ो म्हारो काचो है,
रूप तिहारो कानुड़ा,
नैणा मांई राच्यो है,
फोड़ा घालो क्यूं दिल छालों,
बोलो लखदातार,
खिवैया बन जावो।।
‘श्याम बहादुर’ सेवकियो,
चाकर है सिरदारां को,
जनम जनम को साथीड़ो,
केवटियो मझधारां को,
कृष्ण कन्हैया डगमग नैया,
दीज्यो पार उतार,
खिवैया बन जावो।।
हे गिरधारी कृष्ण मुरारी,
नैया करदो पार,
खिवैया बन जावो,
संकटहारी अर्ज गुजारी,
लीलै का असवार,
खिवैया बन जावो।।
Singer : Rajneesh & Anil Sharma
Sent By : Anant Goenka
