- – यह गीत भगवान कृष्ण की आरती और भक्ति को समर्पित है, जिसमें भक्त अपनी प्रेमपूर्ण भक्ति व्यक्त करता है।
- – गीत में कृष्ण को प्रिया पति और कान्हा के रूप में पुकारा गया है, जो भक्त के जीवन का केंद्र हैं।
- – भक्त अपने मन, प्राण और अस्तित्व को कृष्ण को समर्पित करता है और उनकी महिमा का गुणगान करता है।
- – गीत में कृष्ण के अनुपम रूप और उनके दर्शन की लालसा को भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया गया है।
- – आरती के माध्यम से भक्त कृष्ण के प्रति अपनी निष्ठा, प्रेम और समर्पण प्रकट करता है।

हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी,
तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं,
सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ,
प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी,
हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी।।
ये माटी का कण है तेरा,
मन और प्राण भी तेरे,
मैं एक गोपी, तुम हो कन्हैया,
तुम हो भगवन मेरे,
हे गोपाल कृष्णा करू आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी।।
ओ कान्हा तेरा रूप अनुपम,
मन को हरता जाए,
मन ये चाहे हरपल अंखिया,
तेरा दर्शन पाये,
दर्श तेरा, प्रेम तेरा, आस है मेरी,
दर्शन तेरा, प्रेम तेरा, आस है मेरी,
हे गोपाल कृष्णा करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी।।
हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी,
तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं,
सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ,
प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी,
हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी।।
