- – यह कविता एक गहरे और अनोखे प्रेम और विश्वास के रिश्ते को दर्शाती है, जिसमें “सरताज” का महत्व बताया गया है।
- – “सरताज” हर संकट में साथ आता है और जीवन में स्थिरता और सुरक्षा का प्रतीक है।
- – रिश्तों में स्वार्थ की भावना के विपरीत, यह रिश्ता निःस्वार्थ और सच्चा है, जो जन्म-जन्मांतर का बंधन है।
- – कवि का मन “सरताज” के साथ रहना चाहता है और जीवन भर उसका आभार व्यक्त करना चाहता है।
- – यह कविता प्रेम, समर्पण और विश्वास की भावना को उजागर करती है, जो जीवन को सार्थक बनाती है।

हे मेरे सरताज मेरा,
तुमसे ही तो नाता है,
तू हर संकट में आता है,
हे मेरे सरताज।।
तर्ज – एक तेरा साथ।
ये कैसा रिश्ता है,
ओ मेरे साँवरे,
अनोखा प्यार है,
अजब सी ख़ुशी,
मन में समाई है,
ये कैसा बंधन है,
तू पकड़ ले हाथ,
तू पकड़ ले हाथ,
जग में साथ तुझको चलना है,
तू हर संकट में आता है,
हे मेरे सरताज।।
हर एक रिश्तो में,
तू ही समाया है,
सदा मेरे साथ है,
बेटा बना भाई,
नाई कसाई में,
तू ही साईं नाथ है,
तेरे मेरे बिच,
तेरे मेरे बिच प्रभु जी,
जनम जनम का नाता है,
तू हर संकट में आता है,
हे मेरे सरताज।।
स्वार्थ के मीत है,
स्वार्थ की प्रीत है,
स्वार्थ से जग बना,
तू एक ऐसा है,
जिसने न दुश्मन है,
नहीं कोई दोस्त बना,
जग में हर इंसान,
जग में हर इंसान,
विश्वास तेरा करता है,
तू हर संकट में आता है,
हे मेरे सरताज।।
तेरे साथ रहने का,
मन मेरा करता है,
ना जग मन भाता है,
‘इंदु’ के जीवन की,
बस एक तमन्ना है,
तुम्ही को पाना है,
जीवन भर मोल,
जीवन भर मोल,
तेरे नाम से चुकाना है,
तू हर संकट में आता है,
हे मेरे सरताज।।
हे मेरे सरताज मेरा,
तुमसे ही तो नाता है,
तू हर संकट में आता है,
हे मेरे सरताज।।
