- – हनुमान जी को पवन के पुत्र और वीर के रूप में संबोधित किया गया है, जो संकट में सहायता के लिए आते हैं।
- – बाल्यकाल में सूर्य ग्रहण करने की कथा का उल्लेख करते हुए उनकी अद्भुत शक्ति और पराक्रम को दर्शाया गया है।
- – हनुमान जी की भक्ति, बल, बुद्धि और वीरता की प्रशंसा की गई है, जो सभी लोकों में अंधकार को दूर करती है।
- – संकट के समय हनुमान जी के नाम लेने मात्र से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं, इसलिए उनसे सहायता की प्रार्थना की गई है।
- – भजन में हनुमान जी से विनम्र निवेदन किया गया है कि वे संकट में फंसे भक्त की नाव को पार लगाकर उसकी रक्षा करें।

हे पवन के तनय वीर हनुमान जी,
कब से करता विनय आप आ जाइये,
नाव मजधार में आज मेरी फसी,
पार आकर के उसको लगा जाइए।।
बालपन में ही भक्षण किया सूर्य का,
तीनो लोकों में छाया अंधेरा घना,
वीर बजरंग बाँके महावीर फिर,
वीर बजरंग बाँके महावीर फिर,
अपना बल और पराक्रम दिखा जाइये।।
वीरता में पराक्रम में बलबुद्धि में,
भक्ति में भाव में कोई तुझसा नही,
बस उसी भक्ति का भाव संसार को,
बस उसी भक्ति का भाव संसार को,
फिर से आके जरा सा दिखा जाइए।।
नाम लेने से ही बस महावीर का,
दूर संकट सभी झट से हो जाते हैं,
‘अम्बिका’ हैं शरण में ये राउर तेरे,
‘अम्बिका’ हैं शरण में ये राउर तेरे,
लाज निर्मोही की अब बचा जाइये।।
हे पवन के तनय वीर हनुमान जी,
कब से करता विनय आप आ जाइये,
नाव मजधार में आज मेरी फसी,
पार आकर के उसको लगा जाइए।।
भजन प्रेषक – दिनेश जी मिश्र।
9004926118
