- – यह गीत खाटू श्याम जी के मंदिर की महिमा और भव्यता का वर्णन करता है, जहाँ भक्तों की जय जयकार हो रही है।
- – मंदिर में लाल गुलाल उड़ रही है और ऊँचा शिखर तथा रत्न जड़ित सिंहासन दर्शाए गए हैं, जो मंदिर की भव्यता को दर्शाते हैं।
- – शंख, मृदंग, नगाड़ा और झांझर की ध्वनि से मंदिर में धार्मिक उत्सव का माहौल बना हुआ है।
- – भक्त श्याम जी की शरण में आए हैं और उनसे अपने कष्टों से उबारने की प्रार्थना कर रहे हैं।
- – पूरे गीत में श्याम जी की महिमा का गुणगान और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई है।

हो रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में,
मंदिर में श्याम मंदिर में,
मंदिर में श्याम मंदिर में,
उड़ रही लाल गुलाल,
श्याम तेरे मंदिर में,
हो रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
खाटू नगर में आप विराजो,
खाटू नगर में आप विराजो,
महिमा अति है अपार,
श्याम तेरे मंदिर में,
हों रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
ऊँचा शिखर बना मंदिर का,
ऊँचा शिखर बना मंदिर का,
ध्वजा रही फहराए,
श्याम तेरे मंदिर में,
हों रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
रत्न जड़ित सिंघासन बैठे,
रत्न जड़ित सिंघासन बैठे,
ऊपर छतर हज़ार,
श्याम तेरे मंदिर में,
हों रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
शंख मृदंग नगाड़ा बाजे,
शंख मृदंग नगाड़ा बाजे,
झांझर की झंकार,
श्याम तेरे मंदिर में,
हों रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
ये सब भक्त शरण आए है,
ये सब भक्त शरण आए है,
कर दो बेडा पार,
श्याम तेरे मंदिर में,
हों रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
श्याम बहादुर कवे श्याम से,
श्याम बहादुर कवे श्याम से,
हर लो प्रभु उबार,
श्याम तेरे मंदिर में,
हों रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
हो रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में,
मंदिर में श्याम मंदिर में,
मंदिर में श्याम मंदिर में,
उड़ रही लाल गुलाल,
श्याम तेरे मंदिर में,
हो रही जय जयकार,
श्याम तेरे मंदिर में।।
