- – यह गीत होली के त्योहार पर आधारित है, जिसमें नंदलाल (कृष्ण) वृंदावन की कुञ्ज गलियों में होली खेल रहे हैं।
- – गीत में मित्रों के साथ रंगों से खेलना, पिचकारियों से रंग भरना और मृदंग की थाप पर नाचना दर्शाया गया है।
- – होली के रंगों से चेहरे गुलाल और मलय से रंगे हुए हैं, जो उत्सव की खुशी और उमंग को दर्शाते हैं।
- – भक्तजन कृष्ण की छवि को देखकर ताली बजाते हैं और ग्वालों के साथ मिलकर रंगों का आनंद लेते हैं।
- – गीत में वृंदावन की प्राकृतिक और सांस्कृतिक सुंदरता के बीच होली के रंगीन उत्सव का जीवंत चित्रण है।

होरी खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
होरी खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में।।
संग सखा श्याम के आए,
रंग भर पिचकारी लाए,
कर रहे बुरो हाल बेहाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
होरी खेल रहे नन्दलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में।।
चले गली रंगीली आए,
ढप ढाल मृदंग बजाए,
गावे नाचे तोड़े ताल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
होरी खेल रहे नन्दलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में।।
रंग भर पिचकारी मारे,
चुनर की आब बिगारे,
मेरे मुख पे मल्यो गुलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
होरी खेल रहे नन्दलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में।।
छवि निरखे ‘बनवारी’,
सब भक्त बजावे ताली,
रंग डाल रहे रे सब ग्वाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
होरी खेल रहे नन्दलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में।।
होरी खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में,
होरी खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में।।
Singer – Ram Avtar Sharma
