- – यह कविता भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और उनके प्रति हुई भूलों के लिए क्षमायाचना व्यक्त करती है।
- – कवि ने कृष्ण की महानता, उनके बलिदान और धर्म की रक्षा की प्रशंसा की है।
- – कविता में वर्तमान समय में लोगों के स्वार्थी और दिखावटी व्यवहार की आलोचना की गई है।
- – कवि विनम्रता से सच्ची भक्ति और ईमानदारी की राह दिखाने की प्रार्थना करता है।
- – यह कविता आत्म-चिंतन और सुधार की प्रेरणा देती है, ताकि मनुष्य अपने कर्मों में सुधार कर सके।
हम गुनाहगार है तेरे,
श्याम बरसो से,
मांगते है क्षमा तुझसे,
तेरे भक्तो से,
हम गुनाहगार है।।
तर्ज – मिलती है ज़िन्दगी में।
तूने श्रष्टि की खातिर,
था शीश का दान दिया,
तूने धर्म की रक्षा की,
सबका कल्याण किया,
वीरों के वीर थे,
तुम शुर वीर थे,
याचक बने श्री कृष्ण,
तुम तो दानवीर थे,
धर्म जो तूने हमें सिखलाया,
करम जो तूने करके दिखलाया,
भूले बैठे है सारे आज,
देखो आज कलजुग में।
हम गुनाहगार हैं तेरे,
श्याम बरसो से,
मांगते है क्षमा तुझसे,
तेरे भक्तो से,
हम गुनाहगार है।।
तेरी इस क़ुरबानी से,
नहीं कुछ भी सीखा हमने,
स्वारथ ही स्वारथ है,
प्रभु हम सब के जीवन में,
दर तेरे आते है,
पिकनिक मनाते है,
घर लौटकर बलिदान,
तेरा भूल जाते है,
अहम् में चूर है,
सत्य से दूर है,
बनके प्रेमी तेरे,
फिर भी मशहूर है,
दिखावा ही दिखावा है,
सबके जीवन में।
हम गुनाहगार हैं तेरे,
श्याम बरसो से,
मांगते है क्षमा तुझसे,
तेरे भक्तो से,
हम गुनाहगार है।।
मेरी ये विनती है,
तेरी सच्ची लगन लगा,
हमको भी थोड़ी सी,
भक्ति की राह दिखा,
पड़े ना दिखावे में,
जग के छलावे में,
हम बहके ना प्रभु,
ढोंगियों के छल बहकावे में,
मन में ईमान हो,
कभी ना गुमान हो,
तेरे प्रेमी की जग में,
ऐसी पहचान हो,
रखना तुम दूर ‘रोमी’ को,
बुरे कर्मो से।
हम गुनाहगार है तेरे,
श्याम बरसो से,
मांगते है क्षमा तुझसे,
तेरे भक्तो से,
हम गुनाहगार है।।
Singer : Romi Ji