- – भजन “हम परदेसी फकीर” में आत्मा की भटकन और परमात्मा श्री रघुवीर की भक्ति का संदेश है।
- – सत्संग और भक्ति को जीवन का अनिवार्य हिस्सा मानते हुए, इसे न भूलने और नियमित रूप से सत्संग में जाने का आग्रह किया गया है।
- – जीवन के दुख-सुख में भगवान की भक्ति से शांति और समाधान प्राप्त होता है।
- – भजन में माता-पिता, भाई-बहनों से माफी मांगने और अपने तुच्छ शरीर को स्वीकार करने की विनम्रता प्रकट की गई है।
- – भक्ति और साधुता के माध्यम से मोक्ष और शांति की प्राप्ति का मार्ग बताया गया है।
- – कबीर दास के विचारों का संदर्भ देते हुए भजन के बिना जीवन अधूरा बताया गया है।

हम परदेसी फकीर,
कोई दिन याद करोगे,
भजले श्री रघुवीर,
कोई दिन याद करोगे,
हम परदेसी फकीर,
कोई दिन याद करोगे।।
इस सत्संग को भूल ना जाना,
सत्संग में तुम प्रतिदिन जाना,
करलो अरज मंजूर,
कोई दिन याद करोगे,
हम परदेसी फकीर,
कोई दिन याद करोगे।।
कोई दुखिया दुःख से रोवे,
कोई सुखिया चैन से सोवे,
साधु भजे रघुवीर,
कोई दिन याद करोगे,
हम परदेसी फ़क़ीर,
कोई दिन याद करोगे।।
मात पिता और भाई बहना,
भूल चूक की माफ़ी देना,
मैं हूँ तुच्छ शरीर,
कोई दिन याद करोगे,
हम परदेसी फ़क़ीर,
कोई दिन याद करोगे।।
हम परदेसी फकीर,
कोई दिन याद करोगे,
भजले श्री रघुवीर,
कोई दिन याद करोगे,
हम परदेसी फ़क़ीर,
कोई दिन याद करोगे।।
इसी भजन के,
दूसरे बोल इस प्रकार है –
हम परदेसी फ़कीर
हमें याद करोगे।।
रमता जोगी बहता पानी,
उनकी महिमा कौन न जानी
बांध सके न ज़ंजीर,
हमें याद करोगे,
हम परदेसी फ़कीर
हमें याद करोगे।।
कहाँ रम जाना कहाँ है ठिकाना,
आज यहाँ रहना कल चले जाना
अब तो हुए बेतीर,
हमें याद करोगे,
हम परदेसी फ़कीर
हमें याद करोगे।।
हाथ कमंडल,
बगल में झोला,
दसों दिशा जागीर,
हमें याद करोगे,
हम परदेसी फ़कीर
हमें याद करोगे।।
भजन बिना,
सुना जीवन,
कह गए दास कबीर,
हमें याद करोगे,
हम परदेसी फ़कीर
हमें याद करोगे।।
