- – गीत में भक्त अपनी कमियों और गलतियों को स्वीकारते हुए भगवान कन्हैया से माफी मांगता है।
- – भक्त भगवान से प्रेम और विश्वास की अपील करता है कि वे उससे कभी रूठें नहीं।
- – पूजा, अर्चना और वंदन के माध्यम से भगवान को मनाने की कोशिश की जाती है, परन्तु भक्त को नहीं पता कि कैसे मनाया जाए।
- – भगवान की कृपा और आशीर्वाद के बिना जीवन की कल्पना असंभव है।
- – जुदाई के दर्द को सहना मुश्किल है, इसलिए भक्त भगवान से हमेशा साथ रहने की प्रार्थना करता है।
- – गीत में भावनात्मक और श्रद्धापूर्ण स्वर है, जो भगवान के प्रति गहरे प्रेम और भक्ति को दर्शाता है।

नहीं जानते हम तुमको मनाना,
हमसे कन्हैया रूठ ना जाना,
नहीं जानते हम तुमको मनाना।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
लायक नहीं हूँ मैं जानता हूँ,
अपने गुनाहों को पहचानता हूँ,
अपना समझ सारी खताए भुलाना,
हमसे कभी तुम रूठ ना जाना,
हमसें कन्हैया रूठ ना जाना,
नहीं जानते हम तुमको मनाना।।
ये पूजन अर्चन ये वंदन ना आए,
कहो श्याम प्यारे तुमको कैसे मनाए,
प्रेम किया है तुमसे प्रेम निभाना,
हमसें कन्हैया रूठ ना जाना,
नहीं जानते हम तुमको मनाना।।
अगर जो ना होता भरोसा तुम्हारा,
दुनिया में कैसे होता गुजारा,
किरपा की छैया कभी ना हटाना,
हमसें कन्हैया रूठ ना जाना,
नहीं जानते हम तुमको मनाना।।
बिन तेरे प्यारे रह नहीं सकता,
दर्द जुदाई का सह नहीं सकता,
अपने ‘सुनील’ को कभी ना भुलाना,
हमसे कन्हैया रूठ ना जाना,
नहीं जानते हम तुमको मनाना।।
नहीं जानते हम तुमको मनाना,
हमसे कन्हैया रूठ ना जाना,
नहीं जानते हम तुमको मनाना।।
गायक – कुमार गिरिराज जी।
