- – कविता में जमुना नदी के तट पर श्याम (कृष्ण) के आने और मुरली की मधुर धुन सुनाने की बात की गई है।
- – कवि अपने प्रिय श्याम की मुस्कुराहट और उनकी यादों को कभी भुलाने नहीं देना चाहता।
- – धोखे और विश्वासघात के बावजूद, कवि श्याम के प्रति अपनी उम्मीद और प्रेम बनाए रखता है।
- – ब्रज धाम की पावन भूमि पर श्याम के पुनः आने की कामना व्यक्त की गई है।
- – मुरली की तान और श्याम की छवि कवि के दिल में गहराई से बसी है, जो उसे बार-बार याद आती है।

जमुना के तट पे आना,
मुरली की धुन सुनाना,
हमसे ना भुला जाए,
तेरा श्याम मुस्कुराना,
जमुना के तट पे आना।।
तर्ज – शिव नाम के सहारे।
धोखा दिया है तुमने,
दिल सबका मोह लिया है,
तेरी एक झलक को मोहन,
तड़पे ये दिल दीवाना,
हमसें ना भुला जाए,
तेरा श्याम मुस्कुराना,
जमुना के तट पे आना।।
हमें याद आ रही है,
मुरली की मधुर ताने,
क्या भूल तुम गये हो,
यमुना के तट पे आना,
हमसें ना भुला जाए,
तेरा श्याम मुस्कुराना,
जमुना के तट पे आना।।
कहते थे लोग हमसे,
विश्वास अब हुआ है,
छलिया हो तुम तो कान्हा,
छलने का था बहाना,
हमसें ना भुला जाए,
तेरा श्याम मुस्कुराना,
जमुना के तट पे आना।।
उम्मीद के सहारे,
है राधेश्याम जिंदा,
एक बार फिर से मोहन,
ब्रज धाम चलके आना,
हमसें ना भुला जाए,
तेरा श्याम मुस्कुराना,
जमुना के तट पे आना।।
जमुना के तट पे आना,
मुरली की धुन सुनाना,
हमसे ना भुला जाए,
तेरा श्याम मुस्कुराना,
जमुना के तट पे आना।।
Singer – Rakesh Kala
