- – यह गीत “मारी मात बावणी” चित्तौड़ की माता भवानी की स्तुति में लिखा गया है, जो भक्तों के बीच अत्यंत श्रद्धेय है।
- – गीत में माता भवानी के विभिन्न रूपों और उनके भक्तों द्वारा की जाने वाली पूजा-अर्चना का वर्णन है।
- – गहलोत राजपूतों और स्थानीय लोगों द्वारा माता भवानी की भक्ति और उनके मंदिरों का उल्लेख किया गया है।
- – गीत में गुलाल उड़ाने, भजन गाने और माता के प्रति समर्पण की भावना को दर्शाया गया है।
- – यह रचना योगेश भारती गोस्वामी द्वारा मथानिया (जोधपुर) से प्रस्तुत की गई है।

इण रे चित्तोड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
रथड़ो हाले रे मारी,
बाण माता रो भाई (गहलोतो),
भैरुजी आगण भोय,
मारी बाण माता
इण रे चित्तौड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
गहलोत मनावे थोरा देवरे,
ये माँ रमता-रमता आव,
ये मारी बाण माता,
इण रे चित्तौड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
सजर सृंगार माता,
हालिया मारी माँ,
आया-आया दहिलांणे रे गाँव,
मारी बाण माँ,
इण रे चित्तौड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
वाड़ी वाला देंव् रा मंदिर,
आपरो मारी माँ,
बेठो आपो आप,
मारी बाण माँ,
इण रे चित्तौड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
अरे गहलोतो री कहिजो थे तो,
मावड़ी मारी माँ,
बैठा-बैठा चित्तोड़ क़िला,
माये मारी मात भवानी,
इण रे चित्तौड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
पूजे रे पूजावे बाह्मण,
बोणिया मारी माँ,
पूजे-पूजे नगरी वाला लोग,
इण रे चित्तौड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
योगेश भारती री माँ,
विणती मारी माँ,
भजन गावे थारोडे दरबार,
मारी मात भवानी,
मथानिया गाँव में गावतो,
मारी माँ गावे-गावे थोरा गुण-गान,
मारी मात भवानी,
इण रे चित्तौड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
इण रे चित्तोड़ वाले मार्गे मारी माता,
जिणी-जिणी उड़े रे गुलाल,
मारी मात बावणी।।
प्रेषक :- योगेश भारती गोस्वामी
गाँव :- मथानिया (जोधपुर)
मो. :- 7222021099
