- – यह कविता हनुमान जी की भक्ति और उनकी कृपा की प्रार्थना करती है, जो जीवन भर बनी रहे।
- – जीवन की अस्थिरता और क्षणभंगुरता को स्वीकार करते हुए, सच्ची चाहत और विनम्रता की बात कही गई है।
- – हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और ज्ञान का स्रोत बताया गया है, जिनसे जीवन में उजाला और मार्गदर्शन मिलता है।
- – राम के प्रिय भक्त हनुमान जी से पापों से मुक्ति और रक्षा की आशा जताई गई है।
- – कवि ने अपने गांव और गुरु की सेवा का उल्लेख करते हुए, ज्ञान और इच्छाओं की पूर्ति की कामना की है।
- – समग्र रूप से यह कविता श्रद्धा, विनम्रता और आध्यात्मिक विश्वास का संदेश देती है।

इस दुनिया में चाहत ना मने,
झूठी शान की,
जब तक जिऊँ बणी रहे,
किरपा हनुमान की।।
दो दिन का यो रहन बसेरा,
काहे मेरा मेरी हो,
हाथ जोड़ के विनती बाबा,
मुझपे रैहमत तेरी हो,
बाला जी तू रक्षा करः,
मेरे सवाभिमान की,
जब तक जिऊँ बणी रहे,
किरपा हनुमान की।।
शक्ति भक्ति के दाता हो,
जग में रोशन नाम तेरा,
जग मग ज्योति सुंदर मंदिर,
मेहंदीपुर में धाम तेरा,
मैं भी ध्याऊ नाम तेरा,
तूंं कुंजी ज्ञान की,
जब तक जिऊँ बणी रहे,
किरपा हनुमान की।।
श्री राम दुलारे अंजनी प्यारे,
फागु सखा से नाम तेरे,
लखन के प्राण बचावण आले,
बड़े बड़े पापी पार करे,
तेरे नाम के साहरे तिरज्या,
किश्ती नादान की,
जब तक जिऊँ बणी रहे,
किरपा हनुमान की।।
पप्पू भगत का गाम गांधरा,
खाश रैवाड़ी मेरा जिला,
सुरजमल गुरु की कर के सेवा,
खरक जाटान में मने ज्ञान मिला,
ईछा पूरी होती राजु,
हर इंसान की,
जब तक जिऊँ बणी रहे,
किरपा हनुमान की।।
इस दुनिया में चाहत ना मने,
झूठी शान की,
जब तक जिऊँ बणी रहे,
किरपा हनुमान की।।
प्रेषक –
राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579
