- – यह कविता भगवान श्याम (खाटू वाले श्याम) की भक्ति और प्रेम को दर्शाती है।
- – भक्त अपने आप को भगवान का समर्पित पुजारी और भिखारी मानता है।
- – भक्ति से मन में नई ऊर्जा और खुशियाँ उत्पन्न होती हैं, जो पहले कभी अनुभव नहीं हुई थीं।
- – भगवान के दरबार की महिमा और भक्ति की शक्ति का वर्णन किया गया है, जो भक्त को पूरी तरह से समर्पित कर देती है।
- – भक्त ने भगवान के दर्शन के बाद तन-मन समर्पित कर दिया और उनकी नगरी में जाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
- – पूरे गीत में भक्त की गहरी श्रद्धा और भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना व्यक्त की गई है।

जब से देखा तुम्हे,
जाने क्या हो गया,
ऐ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरा हो गया।।
तू दाता है तेरा,
पुजारी हूँ मैं,
तेरे दर का ऐ बाबा,
भिखारी हूँ मैं,
तेरी चौखट पे दिल,
ये मेरा खो गया,
ऐ मुरली वाले श्याम,
मैं तेरा हो गया।।
जब से मुझको ऐ श्याम,
तेरी भक्ति मिली,
मेरे मुरझाए मन में हैं,
कलिया खिली,
जो ना सोचा कभी था,
वही हो गया,
ऐ लीले वाले श्याम,
मैं तेरा हो गया।।
तेरे दरबार की वाह,
अजब शान है,
जो भी देखे वो ही,
तुझपे कुर्बान है,
तेरी भक्ति का मुझको,
नशा हो गया,
ऐ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरा हो गया।।
‘शर्मा’ जब तेरी झांकी का,
दर्शन किया,
तेरे चरणो में तन मन यह,
अर्पण किया,
इक दफा तेरी नगरी में,
जो भी गया,
ऐ मुरली वाले श्याम,
मैं तेरा हो गया।।
जब से देखा तुम्हे,
जाने क्या हो गया,
ऐ खाटू वाले श्याम,
मैं तेरा हो गया।।
