जगन्नाथ मंगल आरती in Hindi/Sanskrit
आरती श्री जगन्नाथ
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,
जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,
जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी
Jagannath Mangal Aarti in English
Aarti Shri Jagannath
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari,
Mangal Kari Nath Aapada Hari,
Kanchan Ko Dhoop Deep Jyot Jagmagi,
Agar Kapoor Bati Bhav Se Dhari,
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari.
Ghar Gharan Bajta Baje Bansuri,
Ghar Gharan Bajta Baje Bansuri,
Jhanjh Ya Mridang Baje, Taal Khanjari,
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari.
Nirkhat Mukharvind Parshot Charanarvind Aapada Hari,
Jagannath Swami Ke Atako Chhade Ved Ki Dhvani,
Jagannath Swami Ke Bhog Lago Baikunthpuri,
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari.
Indra Daman Singh Gaje Rohini Khadi,
Indra Daman Singh Gaje Rohini Khadi,
Markandey Sw Ganga Anand Bhari,
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari.
Sarnar Muni Dware Tade Brahm Ved Bhani,
Sarnar Muni Dware Tade Brahm Ved Bhani,
Dhan Dhan Oh Sur Swami Anand Gadhi,
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari.
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari,
Mangal Kari Nath Aapada Hari,
Kanchan Ko Dhoop Deep Jyot Jagmagi,
Agar Kapoor Bati Bhav Se Dhari,
Aarti Shri Jagannath Mangal Kari,
Aarti Shri Baikunth Mangal Kari.
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जगन्नाथ मंगल आरती का अर्थ और महत्व
जगन्नाथ मंगल आरती का गायन भगवान श्री जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने के लिए किया जाता है। इस आरती के माध्यम से भक्त भगवान से सभी प्रकार की आपदाओं को हरने और कल्याण करने की प्रार्थना करते हैं। प्रत्येक पंक्ति में भगवान के दिव्य स्वरूप और उनके मंगलकारी स्वभाव का उल्लेख किया गया है। इस आरती का प्रत्येक शब्द भगवान जगन्नाथ के स्वरूप, उनकी महिमा और भक्तों के प्रति उनके करुणामयी स्वभाव को प्रकट करता है।
आरती श्री जगन्नाथ
“आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी”
इस पंक्ति में भगवान जगन्नाथ की महिमा गाई जाती है, उन्हें “मंगलकारी” अर्थात् सभी के लिए शुभ और कल्याणकारी बताया गया है। भगवान जगन्नाथ को बैकुंठपुरी (स्वर्ग या भगवान विष्णु का धाम) का अधिपति माना गया है। भक्तजन उनकी आरती के माध्यम से उनसे सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।
“मंगलकारी नाथ आपदा हरि”
इस वाक्य में भगवान जगन्नाथ को “आपदा हरि” कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वह सभी आपदाओं और कष्टों को हरने वाले हैं। भक्तगण उनसे अपने जीवन की सभी बाधाओं और परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
“कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी, अगर कपूर बाटी भव से धारी”
यह पंक्ति आरती के समय की सुंदरता का वर्णन करती है। “कंचन” का अर्थ स्वर्ण से है, जो दीपक की चमक को दर्शाता है। इस वाक्य में भक्तजन दीप, धूप, और कपूर जलाते हैं और भगवान को भक्ति भाव से अर्पित करते हैं। इन सामग्रियों से भगवान की आरती की जाती है, जिससे चारों ओर एक पवित्र वातावरण बनता है और भक्ति की अनुभूति होती है।
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी
“घर घरन बजता बाजे बंसुरी, झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी”
इस पंक्ति में आरती के समय में बजाए जाने वाले वाद्य यंत्रों का वर्णन किया गया है। बांसुरी, मृदंग, और खनजरी जैसे वाद्य यंत्रों के स्वर भगवान की महिमा का गुणगान करते हैं। यह आरती का समय एक आनंद और भक्ति से भरपूर वातावरण बनाता है, जो भक्तों के मन में प्रभु के प्रति श्रद्धा और भक्ति की अनुभूति को और गहरा करता है।
“निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविंद आपदा हरि”
इस पंक्ति में भगवान के सुंदर मुख और चरणों का वर्णन किया गया है। भक्तजन भगवान के दिव्य स्वरूप को देखते हैं और उनके चरणों का स्पर्श करना चाहते हैं। “आपदा हरि” शब्द के माध्यम से यह भी कहा गया है कि भगवान के दर्शन मात्र से सभी परेशानियों और दुखों का अंत हो सकता है।
“जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी, जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी”
यह पंक्ति भगवान जगन्नाथ की महिमा का गुणगान करती है, जिनकी स्तुति वेदों में भी की गई है। भगवान को भोग अर्पित करने का अर्थ है उनके प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करना। बैकुंठपुरी का संदर्भ भगवान के धाम के रूप में किया गया है, जहां से वे समस्त ब्रह्मांड का संचालन करते हैं।
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी
“इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी”
इस पंक्ति में भगवान जगन्नाथ की कथा का संदर्भ है। राजा इंद्रद्युम्न, जो भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे, ने उनके लिए एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया था। “गजे रोहिणी खड़ी” का तात्पर्य उन देवताओं और ऋषियों से है, जिन्होंने भगवान के दर्शन के लिए उपस्थिति दर्ज की थी।
“मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि”
इस पंक्ति में ऋषि मार्कंडेय और गंगा नदी का उल्लेख है। ऋषि मार्कंडेय भगवान के महान भक्त थे, और गंगा नदी, जो सभी पापों को हरती है, इस स्थल पर बहती है। यह सभी को आनंद और मुक्ति प्रदान करती है।
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी
“सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी, धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी”
इस पंक्ति में ऋषि-मुनियों का वर्णन है जो भगवान के दर्शन करने के लिए उनके द्वार पर खड़े हैं। ब्रह्म और वेदों के माध्यम से भगवान की महिमा का गुणगान किया जा रहा है। “धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी” का अर्थ है कि भगवान के चरणों में आनंद और धन्यत्व की प्राप्ति होती है।
इस आरती का हर शब्द भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्ति का प्रतीक है और उनके मंगलकारी स्वरूप का आह्वान करता है। इस प्रकार, यह आरती सभी भक्तों के लिए मार्गदर्शक और मन को शांति प्रदान करने वाली होती है।