- – गीत में प्रेमी ने अपने प्रिय सांवरे (कान्हा) के पीछे पूरी दुनिया छोड़ दी है।
- – वृन्दावन की पवित्र भूमि पर प्रेमी ने कान्हा की बांसुरी की मधुर धुन सुनकर जीवन का मार्ग बदल लिया है।
- – प्रेमी ने संसार की मोह-माया को त्यागकर केवल श्याम (कान्हा) को पाने की लगन जता दी है।
- – कठिन रास्तों और चुनौतियों के बावजूद, प्रेमी ने अपने प्रेमी के लिए समर्पण और भक्ति का रास्ता चुना है।
- – गीत में प्रेम और भक्ति की गहराई को दर्शाते हुए, सांसारिक बंधनों को छोड़कर आध्यात्मिक प्रेम की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी गई है।

जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे,
ओ रसिया तेरे पीछे,
जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे।।
तेरे पीछे कान्हा मैं तो वृन्दावन आई रे,
वृन्दावन आई रे,
ऐसी सुरीली तूने बांसुरी बजाई रे,
बांसुरी बजाई रे,
ये जीवन मोड़ लिया सांवरे तेरे पीछे,
ओ रसिया तेरे पीछे,
जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे।।
हुई मैं दीवानी मेने छोड़ा ये जमाना रे,
छोड़ा ये जमाना रे,
लागी लगन है अब तो श्याम को ही पाना रे,
श्याम को ही पाना रे,
ये रिश्ता जोड़ लिया सांवरे तेरे पीछे,
ओ रसिया तेरे पीछे,
जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे।।
कैसे मैं आऊं तेरी टेढ़ी है डगरिया रे,
टेढ़ी है डगरिया रे,
तुमको रिझाऊं कैसे बांके सावंरिया रे,
बांके सावंरिया रे,
ये घूँघट खोल दिया सांवरे तेरे पीछे,
ओ रसिया तेरे पीछे,
जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे।।
जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे,
ओ रसिया तेरे पीछे,
जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे।।
