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- – यह गीत जगदम्बा माता के स्वागत और पूजा की भावना को दर्शाता है।
- – गीत में घर को सजाने, द्वार पर आसन बिछाने और गंगा जल से चरण धोने का वर्णन है।
- – माता की आरती करने, कपूर की बाती जलाने और फूल चढ़ाने की परंपरा का उल्लेख है।
- – भोग में हलवा, पूरी, खीर और बताशा अर्पित करने की बात कही गई है।
- – पान, सुपाड़ी, ध्वजा और नारियल जैसे पारंपरिक वस्तुएं माता को भेंट करने का वर्णन है।
- – यह गीत राजेंद्र प्रसाद सोनी द्वारा गाया गया है और माता के आगमन की खुशी व्यक्त करता है।

जगदम्बा हमरे घर में,
पधार रही रे।।
मोतियन चौक में द्वारे पुराऊं,
मल मल आसन सजाय दयों रे,
जगदम्बा हमरे घर मे,
पधार रही रे।।
गंगा जल से चरण पखारुं,
चरणन फूल चढ़ाए दइयों रे,
जगदम्बा हमरे घर मे,
पधार रही रे।।
कंचन थार कपूर की बाती,
मैया की आरती उतार दइयों रे,
जगदम्बा हमरे घर मे,
पधार रही रे।।
हलवा पूरी खीर बताशा,
मैया को भोग लगाएं दइयों रे,
जगदम्बा हमरे घर मे,
पधार रही रे।।
पान सुपाड़ी ध्वजा नारियल,
‘राजेंद्र’ भेंट चढ़ाए दइयों रे,
जगदम्बा हमरे घर मे,
पधार रही रे।।
जगदम्बा हमरे घर में,
पधार रही रे।।
गायक / प्रेषक – राजेंद्र प्रसाद सोनी।
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