- – यह भजन भगवान हनुमान (बजरंगबली) की महिमा का वर्णन करता है और उनकी शरण लेने पर सभी विपत्तियाँ दूर होने का विश्वास व्यक्त करता है।
- – भजन में हनुमान जी के राम काज में योगदान, जैसे सिंधु पार करना, सीता की खोज, राक्षसों का संहार और लंका दहन का उल्लेख है।
- – हनुमान जी भूत-प्रेत के भय को दूर करते हैं, विद्या और बुद्धि बढ़ाते हैं तथा सुख-सम्पत्ति प्रदान करते हैं।
- – लक्ष्मण के प्राण बचाने और अमृत बूटी लाने में हनुमान जी की भूमिका को भी भजन में सराहा गया है।
- – हनुमान जी को वायु पुत्र और गुणों के सागर के रूप में वर्णित किया गया है, जो अंजनी के पुत्र हैं।
- – भजन के अंत में कहा गया है कि जो कोई भी राम भक्त की आरती गाता है, उसे सुख और सम्पत्ति प्राप्त होती है।
जय बजरंगबली,
स्वामी जय बजरंगबली,
जब ली शरण तुम्हारी,
जब ली शरण तुम्हारी,
तब सब विपत हरे,
ॐ जय बजरंगबली।।
राम काज के कारण,
पार कियो सिंधु,
अपने भक्त जनों के,
तुम ही हो बंधू,
ॐ जय बजरंगबली।।
भूत प्रेत के भय को,
क्षण भर में हरते,
विद्या बुध्दि बढ़ाकर,
सुख सम्पति करते,
ॐ जय बजरंगबली।।
सीता पता लगाया,
अक्षय को मारा,
राक्षस पुंज पछाड़ा,
फिर लंका जारी,
ॐ जय बजरंगबली।।
लक्ष्मण प्राण बचाए,
लाए अमृत बूटी,
बस एक आप ही लाते,
जीवन की बुटी,
ॐ जय बजरंगबली।।
वायु पुत्र गुण सागर,
आप ही कहलाये,
जय हनुमान महा प्रभु,
अंजनी के जाये,
ॐ जय बजरंगबली।।
रामभक्त की आरती,
जो कोई नर गावे,
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख सम्पति पावे,
ॐ जय बजरंगबली।।
जय बजरँगबली,
स्वामी जय बजरंगबली,
जब ली शरण तुम्हारी,
जब ली शरण तुम्हारी,
तब सब विपत हरे,
ॐ जय बजरंगबली।।
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