- – यह कविता बजरंगबली (हनुमान जी) की महिमा और उनके विभिन्न युगों में अवतार की बात करती है।
- – बचपन में हनुमान जी की मस्ती और शक्ति का वर्णन है, जब वे फल समझकर सूरज को खाने उड़ गए थे।
- – लंका दहन और असुरों का संहार करने की वीरता का उल्लेख किया गया है।
- – लखन लाल की शक्ति बढ़ाने और संजीवनी बूटी लाने की घटना का भी वर्णन है।
- – विभिक्षण के सामने हनुमान जी की बहादुरी और शौर्य की प्रशंसा की गई है।
- – पूरे गीत में बजरंगबली की महिमा और उनके शिव रूप के साथ कलयुग में भी उनकी उपस्थिति की बात कही गई है।

जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंगबली,
ले के शिव रूप आना गज़ब हो गया,
त्रेता युग में थे तुम आये द्वापर में भी,
तेरा कलयुग में आना गज़ब हो गया।।
तर्ज – हाल क्या है दिलो का ना पूछो।
बचपन की कहानी निराली बड़ी,
जब लगी भूख बजरंग मचलने लगे,
फल समझ कर उड़े आप आकाश में,
तेरा सूरज को खाना गज़ब हो गया।।
कूदे लंका में जब मच गयी खलबली,
मारे चुन चुन के असुरों को बजरंगबली,
मार डाले अक्षय को पटक के वही,
तेरा लंका जलाना गज़ब हो गया।।
आके शक्ति लगी जो लखन लाल को,
राम जी देख रोये लखन लाल को,
लेके संजीवन बूटी पवन वेग से,
पूरा पर्वत उठाना गज़ब हो गया।।
जब विभिक्षण संग बैठे थे श्री राम जी,
और चरणों में हाजिर थे हनुमान जी,
सुन के ताना विभिक्षण का अन्जनी के लाल,
फाड़ सीना दिखाना गज़ब हो गया।।
जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंगबली,
ले के शिव रूप आना गज़ब हो गया,
त्रेता युग में थे तुम आये, द्वार में भी,
तेरा कलयुग में आना गज़ब हो गया।।
