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जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली – भजन (Jai Ho Jai Ho Tumhari Ji Bajrangbali)

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जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली
लेके शिव रूप आना गजब हो गया
त्रेतायुग में थे तुम आये द्वापर में भी
तेरा कलयुग में आना गजब गो गया ॥

बचपन की कहानी निराली बड़ी
जब लगी भूख हनुमत मचलने लगे
फल समझ कर उड़े आप आकाश में
तेरा सूरज को खाना गजब हो गया ॥

कूदे लंका में जब मच गयी खलबली
मारे चुनचुन कर असुरो को बजरंगबली
मारडाले अच्छो को पटककर वही
तेरा लंका जलाना गजब हो गया ॥

आके शक्ति लगी जो लखनलाल को
राम जी देख रोये लखनलाल को
लेके संजीवन बूटी पवन वेग से
पूरा पर्वत उठाना गजब हो गया ॥

जब विभीषण संग बैठे थे श्री राम जी
और चरनो में हाजिर थे हनुमान जी
सुन के ताना विभीषण का अंजनी के लाल
फाड़ सीना दिखाना गजब हो गया ॥

जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली
लेके शिव रूप आना गजब हो गया
त्रेतायुग में थे तुम आये द्वापर में भी
तेरा कलयुग में आना गजब गो गया ॥

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जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली – गहन अर्थ

हनुमान जी पर आधारित यह भजन उनकी अलौकिक शक्तियों, असीम भक्ति और असाधारण घटनाओं का गहन वर्णन करता है। हर पंक्ति में उनके जीवन के अलग-अलग चरणों और युगों में किए गए कार्यों की गहराई को समझाने की कोशिश की गई है।


जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली

इस पंक्ति के माध्यम से हनुमान जी की विजय और महिमा का उद्घोष किया गया है। “जय हो” का बार-बार दोहराव यह इंगित करता है कि उनकी महिमा अनंत और हर कालखंड में अद्वितीय है। ‘बजरंग बली’ नाम उनके बल, शक्ति और साहस का प्रतीक है। हनुमान जी की आराधना से भय दूर होता है, आत्मविश्वास जागृत होता है, और साधक हर कठिनाई को पार कर सकता है।


लेके शिव रूप आना गजब हो गया

यह पंक्ति बताती है कि हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं। शिव जी ने अपने अवतार के रूप में हनुमान को केवल रामायण काल के लिए नहीं, बल्कि त्रेता, द्वापर और कलियुग के लिए भेजा। यह पंक्ति इस तथ्य को गहराई से समझने का आह्वान करती है कि हनुमान जी का शिव से संबंध उनकी शक्ति और भक्ति का मूल है। उनका जन्म ही एक दिव्य उद्देश्य के लिए हुआ था—सतयुग से लेकर कलियुग तक धर्म की रक्षा और भक्तों की सहायता करना।


त्रेतायुग में थे तुम आये द्वापर में भी

तेरा कलयुग में आना गजब हो गया

त्रेता युग में हनुमान जी ने रामचरितमानस में भगवान राम की सहायता की, जबकि द्वापर युग में उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कृष्ण के संग उपस्थिति दर्ज की। इन युगों की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि हनुमान जी केवल एक काल विशेष के लिए सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हर युग में धर्म की स्थापना के लिए सक्रिय रहते हैं। कलियुग में उनकी उपस्थिति का उल्लेख यह संकेत करता है कि वर्तमान समय में भी वे भक्तों की सहायता करते हैं। उनके जीवंत रूप में होने का विश्वास भक्तों के भीतर एक अद्भुत आत्मबल भरता है।

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बचपन की कहानी निराली बड़ी

जब लगी भूख हनुमत मचलने लगे

यह पंक्ति उनके बाल्यकाल के अद्भुत प्रसंगों को दर्शाती है। हनुमान जी का बचपन साधारण बच्चों जैसा नहीं था; उनका हर कार्य अलौकिक और आश्चर्यजनक था। जब उन्हें भूख लगी, तो उन्होंने सामान्य भोजन की तलाश नहीं की। उनके भीतर का साहस और स्वाभाविक जिज्ञासा उन्हें असामान्य दिशा में ले गई।


फल समझ कर उड़े आप आकाश में

तेरा सूरज को खाना गजब हो गया

हनुमान जी के इस बाललीला प्रसंग में उनकी चंचलता और शक्ति दोनों का चित्रण है। जब उन्हें भूख लगी, तो उन्होंने आकाश में चमकते सूर्य को एक बड़ा लाल फल समझ लिया। उनकी शक्ति इतनी महान थी कि वे सीधे आकाश में उड़ गए और सूर्य को पकड़ने की कोशिश की। यह घटना दर्शाती है कि बचपन में ही उनकी शक्तियां कितनी अद्वितीय और अद्वितीय थीं। इस घटना से यह भी पता चलता है कि उनका व्यक्तित्व देवताओं के लिए भी एक आश्चर्य का विषय था।


कूदे लंका में जब मच गयी खलबली

मारे चुनचुन कर असुरो को बजरंगबली

लंका में हनुमान जी का प्रवेश रामायण की सबसे रोमांचक घटनाओं में से एक है। सीता माता की खोज में जब वे लंका पहुंचे, तो उनकी उपस्थिति ने वहां हलचल मचा दी। उनके साहस और चातुर्य ने रावण के सभी योद्धाओं को चौंका दिया। “मारे चुनचुन कर असुरो को” का अर्थ है कि हनुमान जी ने बड़े ही कौशल और धैर्य के साथ शत्रुओं को नष्ट किया। यह उनकी युद्ध-कला और दैवीय शक्ति का प्रमाण है।


मार डाले अच्छो को पटककर वही

तेरा लंका जलाना गजब हो गया

यह पंक्ति लंका दहन की घटना का वर्णन करती है। रावण के आदेश पर हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई गई थी, लेकिन उन्होंने इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल किया। अपनी दैवीय शक्ति से उन्होंने पूरी लंका को आग के हवाले कर दिया। इस घटना का आध्यात्मिक अर्थ यह है कि अन्याय और अहंकार का अंत निश्चित है।

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आके शक्ति लगी जो लखनलाल को

राम जी देख रोये लखनलाल को

यह प्रसंग लक्ष्मण जी की मूर्छा से जुड़ा हुआ है। युद्ध के दौरान जब मेघनाद के शक्ति बाण से लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए, तो भगवान राम ने अपने भाई को उस स्थिति में देखकर दुख व्यक्त किया। इस पंक्ति में हनुमान जी के संकटमोचन स्वरूप का संकेत मिलता है।


लेके संजीवन बूटी पवन वेग से

पूरा पर्वत उठाना गजब हो गया

हनुमान जी की यह घटना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। संजीवनी बूटी को पहचानने में असमर्थता के कारण उन्होंने पूरा पर्वत ही उठा लिया। इससे यह पता चलता है कि जब किसी कार्य के पीछे ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण होता है, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनका ‘पवन वेग’ (तेज गति से उड़ान भरना) उनकी अद्वितीय शक्ति और तत्परता को दर्शाता है।


जब विभीषण संग बैठे थे श्री राम जी

और चरनो में हाजिर थे हनुमान जी

यह प्रसंग भगवान राम, विभीषण और हनुमान जी के मध्य की बातचीत का है। विभीषण, जो रावण के छोटे भाई थे, हनुमान जी से भगवान राम की भक्ति और सेवा का मर्म समझना चाहते थे।


सुन के ताना विभीषण का अंजनी के लाल

फाड़ सीना दिखाना गजब हो गया

विभीषण ने हनुमान जी की भक्ति पर संदेह प्रकट करते हुए व्यंग्य किया। इसके उत्तर में, हनुमान जी ने अपने हृदय को चीरकर दिखाया, जिसमें भगवान राम और सीता माता का निवास था। यह घटना उनकी भक्ति और भगवान राम के प्रति उनके असीम प्रेम का प्रतीक है।


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