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- – यह गीत भगवान शिव के बाल रूप गजानंद की झूला झूलने की सुंदर छवि प्रस्तुत करता है।
- – गीत में पीपल और चंदन की डाली पर झूला बांधने का वर्णन है, जो पवित्रता और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है।
- – झूले में रेशम की डोर और विभिन्न प्रकार के फुंदने लगाए जाने का उल्लेख है, जो झूले की शोभा बढ़ाते हैं।
- – गीत में गजानंद को कौन लोरी सुनाएगा और कौन पालना सुलाएगा, इस भावुक प्रश्न को उठाया गया है।
- – अंत में शिवजी को गजानंद को झुलाने और लोरी सुनाने वाला बताया गया है, जो उनकी माता-पिता के प्रति स्नेह को दर्शाता है।

झूला झूले हो गजानंद झुलना,
झूले झूले हो गजानंद झुलना।।
काहे की डाली पे झूला बंधाये,
झूला बंधाये,
झूला बंधाये,
काहे के लागे पालना,
झूले झूले हो गजानंद झुलना।।
पीपल की डाली पे झूला बंधाये,
झूला बंधाये,
झूला बंधाये,
चंदन के लागे हो पालना,
झूले झूले हो गजानंद झुलना।।
काहे की पलने में डोर लगाए,
डोर लगाए तुमने,
डोर लगाए,
काहे के लगाए फुँदना,
झूले झूले हो गजानंद झुलना।।
पलने में रेशम की डोर लगाए,
डोर लगाए तुमने,
डोर लगाए,
किसम किसम के फुँदना,
झूले झूले हो गजानंद झुलना।।
कौन गजानन्द को लोरी सुनाये,
लोरी सुनाये,
लोरी सुनाये,
कौन सुलाए पालना,
झूले झूले हो गजानंद झुलना।।
गोरा गजानन्द को लोरी सुनाये,
लोरी सुनाये तुमको,
लोरी सुनाये,
शिवजी झुलाये पालना,
झूले झूले हो गजानंद झुलना।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
