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जिन दिन हंसा जनमीया बाज्या सोवनीया थाल रे – Jin Din Hansa Janmiya Baajya Sovniya Thaal Re – Hinduism FAQ

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  • – यह गीत जीवन के विभिन्न चरणों का वर्णन करता है, जिसमें जन्म से लेकर बुढ़ापे तक की यात्रा को दर्शाया गया है।
  • – गीत में जीवन के उतार-चढ़ाव, जैसे बचपन की मासूमियत, पढ़ाई, विवाह, और बुढ़ापे की कमजोरी को भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
  • – जीवन की अनित्यता और मृत्यु के inevitability पर भी जोर दिया गया है, साथ ही भगवान के नाम का स्मरण करने की सलाह दी गई है।
  • – राजस्थान की लोक संस्कृति और भाषा की झलक इस गीत में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
  • – गीत में पारिवारिक संबंधों, सामाजिक रीति-रिवाजों और जीवन के अनुभवों को सुंदरता से व्यक्त किया गया है।
  • – यह गीत शंकर जी टाक द्वारा गाया गया है और मनीष सीरवी द्वारा प्रेषित है, जो राजस्थान के रायपुर जिले से हैं।

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जिन दिन हंसा जनमीया,

दोहा – नेनो रे रे नेनका,
नेनी धोरा री ध्रोव,
घास पुस उड जावसी,
जमी रेवे इन ठोर।
मर जासी रे मानवी,
तू क्यु करे अभिमान,
मरनो एक दिन आवसी,
जद प्रभु नही देसी सार,
तू भजले हरि रो नाम।

जिन दिन हंसा जनमीया,
बाज्या सोवनीया थाल रे,
जीण दिन हंसा जनमीया,
बाज्या सोवनीया थाल रे,
सोने री सरीयु नारा मोडीया,
घर घर मंगला चार रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।



अरे जनमीया ऊंडी ओरीया,

जद बाज्या सोवनीया थाल रे,
जनमीया ऊंडी ओरीया,
जद बाज्या सोवनीया थाल रे,
बुआ भतीजा हुलरावीया,
घर घर मंगला चार रे,
बुआ भतीजा हुलरावीया,
घर घर मंगला चार रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।

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अरे पाँच वर्ष रा वेगीया,

दडीयो रमवा जाता रे,
पाँच वर्ष रा वेगीया,
दडीयो रमवा जाता रे,
नित रा लावे ओलबा,
माता वर्जन जावे रे,
नित रा लावे ओलबा,
माता वर्जन जावे रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।



अरे दस रे वर्ष रा वेगीया,

स्कूलों पढवा जाता रे,
दस रे वर्ष रा वेगीया,
स्कूलों पढवा जाता रे,
मास्टर जी म्हाने करी पढाई,
डंडा मारीया चार रे,
मास्टर जी म्हाने करी पढाई,
डंडा मारीया चार रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।



अरे पन्द्रह वर्ष रा वेगीया,

करी सगायो री बात रे,
पन्द्रह वर्ष रा वेगीया,
लारे लुम्बाडी नार रे,
टाबर टूबर मोकला,
जीव पड्यो जनजाल रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।



अरे चालीस वर्ष रा वेगीया,

करता मन री बात रे,
चालीस वर्ष रा वेगीया,
करता मन री बात रे,
हामी छुल्ले बैठता,
घी सु भरता थाल रे,
हामी छुल्ले बैठता,
घी सु भरता थाल रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।



अरे जंतर पडीया जोदरा,

ढिला पडीया हाड़ रे,
जंतर पडीया जोदरा,
ढिला पडीया हाड़ रे,
जाट रूपजी बोलीया,
रेजो वैकुण्ठा वास रे,
जाट रूपजी बोलीया,
रेजो वैकुण्ठा वास रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।



जिन दिन हंसा जनमीया,

बाज्या सोवनीया थाल रे,
जीण दिन हंसा जनमीया,
बाज्या सोवनीया थाल रे,
सोने री सरीयु नारा मोडीया,
घर घर मंगला चार रे,
जोबनीयो जातो रयो,
आयी रे बुढापा री वार रे,
नखरालो जातो रयो ओ जी।।

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गायक – शंकर जी टाक।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818


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