- – यह गीत “ओ बाबा” के प्रति भक्तिभाव और प्रेम को दर्शाता है, जिसमें बाबा के रंग में रंग जाने वाले भक्त की खुशी और आनंद की बात की गई है।
- – भक्त बाबा के नाम का प्याला भर-भर कर पीता है और खाटू धाम के रास्ते पर चलते हुए जीवन में आनंद महसूस करता है।
- – धीरे-धीरे भक्त बाबा का दीवाना बन जाता है, मस्ती में बाबा का तराना गाता रहता है और उनके गुणों का गुणगान करता है।
- – भक्त दुनिया की झूठी बातों से घबराता है और बाबा के प्रेमियों से मिलकर सच्चे आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करता है।
- – गीत में बाबा के चरणों में विनती की गई है कि भक्तों को ऐसी दिव्य विभूति से मिलवाएं जिससे संतों से मिलकर आनंद प्राप्त हो सके।
- – पूरे गीत में बाबा के प्रति समर्पण और भक्ति की भावना प्रबल है, जो जीवन भर आनंद और मौज उड़ाने का माध्यम बनती है।

जिस पर भी ओ बाबा,
तेरा रंग चढ़ जाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
तर्ज – सावन का महीना।
भर भर के प्याला वो तो,
पिए तेरे नाम का,
इसको सुहाना लागे,
रस्ता खाटू धाम का,
तेरे ही तो पथ पर,
वो चलता जाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
धीरे धीरे बन जाता,
तेरा वो दीवाना,
मस्ती में गाता रहता,
तेरा ही तराना,
जहाँ कही भी जाए,
तेरे गुण गाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
तेरे प्रेमियो से करता,
सदा मुलाक़ते,
रास ना आते उनको,
दुनिया की बाते,
झूठी दुनिया दारी,
से वो घबराता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
चरणों में विनती है,
श्याम सुन लीज़िए,
‘बिन्नु’ को मिलाते रहे,
ऐसी ही विभूति से,
उन संतो से मिलकर,
बड़ा आनंद आता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
जिस पर भी ओ बाबा,
तेरा रंग चढ़ जाता है,
सारे जीवन वो तो,
फिर मौज उड़ाता है,
जिस पर भी ओ बाबा।।
Singer : Anjanli Dwiwedi
