- – कविता में “मोहन” के रूप में भगवान कृष्ण का वर्णन किया गया है, जो संसार के हर पहलू में विद्यमान हैं।
- – शबरी की झोपड़ी से लेकर गोपियों के साथ उनके प्रेम और लीलाओं का उल्लेख है।
- – कृष्ण की मुरली और उनकी अद्भुत शक्तियों का वर्णन किया गया है, जो सबको मोहित करती हैं।
- – अर्जुन के सारथी बनने और गिरीवर उठाने जैसी महत्त्वपूर्ण घटनाओं का स्मरण कराया गया है।
- – कविता में यह प्रश्न उठाया गया है कि क्या वही “मोहन” है जिसे हम इस संसार का आधार मानते हैं।
- – लेखक श्री शिवनारायण वर्मा द्वारा रचित यह भजन आध्यात्मिक और भक्तिमय भावनाओं से परिपूर्ण है।
जिसको कहता है मोहन,
ये सारा जहाँ,
हाँ ये सारा जहाँ,
ये बतादो कही तुम,
वही तो नही,
वही तो नही,
जिसको कहता है मोहन।।
तर्ज – जिसके सपने हमें रोज़।
शबरी की झोपड़ी मे जो आज कभी,
बैर शबरी ने जिनको खिलाए कभी,
जिनके कैवट ने-२,
पैयाँ पखारे कभी,
ये बतादो कही तुम,
वही तो नही,
वही तो नही,
जिसको कहता है मोहन।।
गोपियो को सताया था जिसने कभी,
कपड़े उनके चुराए थे जिसने कभी,
गोपियो ने-२,
नचाया जिसे रात दिन,
ये बतादो कही तुम,
वही तो नही,
वही तो नही,
जिसको कहता है मोहन।।
उँगली पर जिसने गिरीवर उठाया कभी,
सारथी जो बने अर्जुन के कभी,
जिसकी मुरली-२,
ने सबको रिझाया कभी,
ये बतादो कही तुम,
वही तो नही,
वही तो नही,
जिसको कहता है मोहन।।
जिसको कहता है मोहन,
ये सारा जहाँ,
हाँ ये सारा जहाँ,
ये बतादो कही तुम,
वही तो नही,
वही तो नही,
जिसको कहता है मोहन।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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