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जो कुछ भी हूँ जहाँ भी हूँ प्रभु आपकी कृपा है भजन लिरिक्स – Jo Kuch Bhi Hoon Jahan Bhi Hoon Prabhu Aapki Kripa Hai Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह गीत प्रभु की कृपा और अनुकंपा का गुणगान करता है, जो जीवन में सफलता और अस्तित्व का आधार है।
  • – लेखक अपने जीवन की हर उपलब्धि को प्रभु की कृपा से जोड़ता है और अहसानमंद है।
  • – गीत में यह बताया गया है कि बिना प्रभु की मर्जी और कृपा के कुछ भी संभव नहीं है।
  • – जीवन की हर चुनौती और संघर्ष में प्रभु की सहायता और प्रेम से ही विजय संभव होती है।
  • – लेखक ने अपने अनुभवों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि प्रभु प्रेमियों का कोई काम अधूरा नहीं रहता।
  • – यह रचना श्रद्धा, भक्ति और प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना को व्यक्त करती है।

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जो कुछ भी हूँ जहाँ भी हूँ,
प्रभु आपकी कृपा है,
गुणगान जितना भी करूँ,
गुणगान जितना भी करूँ,
थकती नही जुबा है,
जो कुछ भी हूं जहाँ भी हूं,
प्रभु आपकी कृपा है।।

तर्ज – तुझे भूलना तो चाहा।



सोचा नहीं था वो मिला,

मुझे आपके ही दर से,
सिक्का ये खोटा चल गया,
प्रभु आपके असर से,
रहता है सर मेरा प्रभु,
रहता है सर मेरा प्रभु,
रहता झुका झुका है,
जो कुछ भी हूं जहाँ भी हूं,
प्रभु आपकी कृपा है।।



जितनी निभाई आपने,

कैसे निभा सकूँगा मैं,
अहसान आपका प्रभु,
कैसे चूका सकूँगा मैं,
नौकर के सर से मालिक का क्या,
नौकर के सर से मालिक का क्या,
कर्जा कभी चूका है,
जो कुछ भी हूं जहाँ भी हूं,
प्रभु आपकी कृपा है।।



तेरी कृपा के बिन प्रभु,

कुछ ना मिले जहा में,
मर्जी बिना तेरे प्रभु,
ना पत्ता हिले यहाँ पे,
होता वही जो आपने,
होता वही जो आपने,
तक़दीर में लिखा है,
जो कुछ भी हूं जहाँ भी हूं,
प्रभु आपकी कृपा है।।

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रहते है जो भी मालिक की,

‘रोमी’ रजा में राजी,
कभी हारते नहीं है वो,
जीवन की कोई बाजी,
प्रभु प्रेमियों का आपके,
प्रभु प्रेमियों का आपके,
कोई काम ना रुका है,
जो कुछ भी हूं जहाँ भी हूं,
प्रभु आपकी कृपा है।।



जो कुछ भी हूँ जहाँ भी हूँ,

प्रभु आपकी कृपा है,
गुणगान जितना भी करूँ,
गुणगान जितना भी करूँ,
थकती नही जुबा है,
जो कुछ भी हूं जहाँ भी हूं,
प्रभु आपकी कृपा है।।

– स्वर व लेखन –
रोमी जी


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