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कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी,
बरसाने वारी,गोरी बरसाने वारी ॥

छीन मुकुट, सिर धरी चंद्रिका,
बिंदिया भाल लगाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी ॥

कारे से लाल बनाए गयी रे ॥

नाक बेसार गाल माए कांचुकी,
उपर से चूनर उड़ाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी ॥

कारे से लाल बनाए गयी रे ॥

नारी बनाए, जोड़ के नाता,
उपर से ठेंगा दिखाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी ॥

कारे से लाल बनाए गयी रे ॥

नारायण मन फिर भी ना मानयो
हस के कंठ लगाए गयी रे
गोरी बरसाने वारी

कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
बरसाने वारी,गोरी बरसाने वारी

होली भजन: “कारे से लाल बनाए गयी रे, गोरी बरसाने वारी” का अर्थ

यह भजन न केवल राधा-कृष्ण की होली की चंचलता को व्यक्त करता है, बल्कि उनकी आध्यात्मिक लीला की गहराइयों को भी उजागर करता है। हर पंक्ति में उनके प्रेम, शरारत और परस्पर समर्पण के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है। आइए, इसे गहराई से समझते हैं:


कारे से लाल बनाए गयी रे, गोरी बरसाने वारी

गहन अर्थ:

  • “कारे” का अर्थ है कृष्ण, जो सांवले हैं। यह कृष्ण के उस स्वरूप का प्रतीक है जो प्रकृति के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। “लाल” प्रेम, ऊर्जा और उल्लास का प्रतीक है।
  • “गोरी बरसाने वारी” राधा का परिचय देती है, जो बरसाना की धरोहर हैं और स्नेह एवं प्रेम का अवतार मानी जाती हैं।
  • यह पंक्ति बताती है कि राधा ने अपने प्रेम के रंग में कृष्ण को रंग दिया। इसे भौतिक रूप से होली के रंग के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन आध्यात्मिक रूप से यह राधा के प्रेम द्वारा कृष्ण के हृदय को भरने का प्रतीक है।
  • यह प्रेम की उस भावना को व्यक्त करता है जहां भेद (रंग, रूप, जाति) मिट जाते हैं और केवल एकता रह जाती है।

छीन मुकुट, सिर धरी चंद्रिका, बिंदिया भाल लगाए गयी रे

गहन अर्थ:

  • कृष्ण का मुकुट छीनना राधा की स्वतंत्रता और उनका आत्मविश्वास दर्शाता है। यह बताता है कि प्रेम में कोई बंधन या औपचारिकता नहीं होती।
  • “चंद्रिका” (चाँद की आकृति) को सिर पर रखना यह इंगित करता है कि प्रेम में नरमाहट और सौम्यता जरूरी है।
  • “बिंदिया भाल” को लगाने का तात्पर्य है कि राधा ने कृष्ण के स्वरूप को अपने अनुरूप सजाया। यह प्रेम में समानता का भाव व्यक्त करता है, जहां दोनों साथी एक-दूसरे को अपना रूप देने की चेष्टा करते हैं।
  • यह दृश्य कृष्ण की उस विनम्रता को भी दिखाता है, जिसमें वे अपनी प्रिय राधा के हर मजाक और हर शरारत को प्रेमपूर्वक स्वीकार करते हैं।

नाक बेसार गाल माए कांचुकी, उपर से चूनर उड़ाए गयी रे

गहन अर्थ:

  • राधा ने कृष्ण को स्त्री के रूप में सजाया। यह इस बात का प्रतीक है कि प्रेम में कोई भी भूमिका या स्वरूप धारण किया जा सकता है।
  • “नाक बेसार” (नाक की नथ) और “कांचुकी” (गहने) यह दर्शाते हैं कि राधा ने कृष्ण को पूर्ण रूप से एक नारी के स्वरूप में ढाल दिया।
  • “चूनर उड़ाना” यह संकेत देता है कि प्रेम में चंचलता और हल्कापन भी उतना ही आवश्यक है जितना गहराई।
  • यह पूरे दृश्य को उत्सवमय और अद्वितीय बनाता है, जहां राधा-कृष्ण का प्रेम सांसारिक बंधनों से परे होकर दिव्यता की ओर इशारा करता है।

नारी बनाए, जोड़ के नाता, उपर से ठेंगा दिखाए गयी रे

गहन अर्थ:

  • कृष्ण को नारी बनाना राधा की चंचलता को दिखाता है, लेकिन यह उससे कहीं अधिक गहरा है। यह ब्रह्मांडीय नारीत्व की महत्ता का प्रतीक है।
  • राधा यहां “शक्ति” का प्रतीक बन जाती हैं और कृष्ण “शिव” या “नारायण”। यह दृश्य “शिव और शक्ति” की अवधारणा को दर्शाता है, जहां दोनों एक-दूसरे को पूरक हैं।
  • “ठेंगा दिखाना” केवल मजाक नहीं है, बल्कि प्रेम में नखरे करने का वह भाव है, जो रिश्ते को मधुर बनाता है।
  • यह बताता है कि प्रेम में अधिकार और स्वतंत्रता दोनों का संतुलन होता है।

नारायण मन फिर भी ना मानयो, हस के कंठ लगाए गयी रे

गहन अर्थ:

  • “नारायण” (कृष्ण) का मन न मानना बताता है कि प्रेम कभी-कभी शरारत और उलाहने से परिपूर्ण होता है।
  • “हस के कंठ लगाए” यह प्रेम की अंतिम परिणति है, जहां सभी शिकायतें, झिझक, और विरोध प्रेम की एक हंसी में घुल जाते हैं।
  • यह बताता है कि कृष्ण के लिए राधा की हर चंचलता और हर शरारत स्वीकार्य है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

  • राधा-कृष्ण के प्रेम का संदेश: यह भजन केवल उनकी होली की लीला का वर्णन नहीं करता, बल्कि यह समझाता है कि प्रेम में कोई बंधन, कोई अहंकार, और कोई सीमाएं नहीं होतीं।
  • समानता और सामंजस्य: कृष्ण का राधा द्वारा सजना यह संदेश देता है कि सच्चा प्रेम हर रूप, हर भूमिका को आत्मसात करने की शक्ति रखता है।
  • रंगों का महत्व: होली के रंग केवल बाहरी नहीं, बल्कि भीतरी हैं। ये रंग प्रेम, समर्पण और आनंद का प्रतीक हैं।

निष्कर्ष

भजन “कारे से लाल बनाए गयी रे” राधा-कृष्ण की होली की लीला का जीवंत चित्रण है। यह प्रेम की विभिन्न परतों को उद्घाटित करता है, जिसमें शरारत, अधिकार, समानता, और अंत में पूर्णता का भाव शामिल है। यह भजन न केवल होली के उत्सव का आनंद देता है, बल्कि प्रेम की अनंतता और उसकी दिव्यता को भी दर्शाता है।

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