- – यह गीत माँ शारदा भवानी की आराधना और उनके आगमन की प्रार्थना है।
- – गीत में माँ के पाँवों में पैंजन और घुंघरू बाँधने की बात कही गई है, जिससे उनकी पूजा और नृत्य का भाव व्यक्त होता है।
- – माँ के माथे पर बिंदिया सजाने और हीरे जड़ने का वर्णन है, जो उनकी सुंदरता और महिमा को दर्शाता है।
- – ‘शिवरंजनी’ नामक गायिका के माध्यम से भक्तों के साथ भक्ति और ठुमका लगाने का दृश्य प्रस्तुत किया गया है।
- – पूरे गीत में माँ शारदा भवानी के घर आने की बार-बार विनम्र प्रार्थना की गई है, जो भक्ति और श्रद्धा की अभिव्यक्ति है।

कभी तो मेरे घर आना,
मोरी शारदा भवानी,
शारदा भवानी, शारदा भवानी,
कभी तो मेरें घर आना,
मोरी शारदा भवानी।।
तर्ज – एक दिन मेरे घर आना।
मैया के पाँवन में पैंजन बंधाऊँगी,
मैया के पाँवन में पैंजन बंधाऊँगी,
पैंजन बंधाऊँगी, घुंगरू बंधाऊँगी,
छम छम नाच दिखाना,
मोरी शारदा भवानी,
कभी तो मेरें घर आना,
मोरी शारदा भवानी।।
मैया के माथे पे बिंदिया सजाऊंगी,
मैया के माथे पे बिंदिया सजाऊंगी,
हिरा जड़े चमकाना,
मोरी शारदा भवानी,
कभी तो मेरें घर आना,
मोरी शारदा भवानी।।
मैया के द्वारे ‘शिवरंजनी’ है आई,
मैया के द्वारे ‘शिवरंजनी’ है आई,
‘शिवरंजनी’ आई, जगराता गाई,
भक्तो संग ठुमका लगाना,
मोरी शारदा भवानी,
कभी तो मेरें घर आना,
मोरी शारदा भवानी।।
कभी तो मेरे घर आना,
मोरी शारदा भवानी,
शारदा भवानी, शारदा भवानी,
कभी तो मेरें घर आना,
मोरी शारदा भवानी।।
स्वर – शिवरंजनी तिवारी।
