- – यह गीत काली माता की महिमा और उनके भक्त की भक्ति को दर्शाता है, जिसमें काली माता का वर्णन काले रंग के मंदिर, चुनरी और शरीर के रूप में किया गया है।
- – गीत में काली माता की शक्ति और संकटों को दूर करने की क्षमता का उल्लेख है, जो भक्तों के जीवन में उजाला और सुरक्षा लाती है।
- – भक्त अपनी पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ काली माता की पूजा-अर्चना करता है, जिसमें खपर, समसीर, पान, पेड़ा, लौंग, सुपारी आदि भोग चढ़ाने का वर्णन है।
- – गीत में काली माता के दरबार की महिमा और भक्तों की उनकी भक्ति में अटूट विश्वास को भी उजागर किया गया है।
- – यह गीत स्थानीय भाषा और संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है, जो काली माता की पूजा और भक्ति के पारंपरिक रूपों को दर्शाता है।
काला काला मंदिर काली काली चुनरी,
काला काला तेरा शरीर,
कालका आण बंधाईए धीर,
तेरे भक्त ने तेरी जोत प,
पड़या बहावणा नीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
तेरी जोत प संकट खेलः,
जगा दिए री तकदीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
एक हाथ में खपर लेरी,
दुजे में समसीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
तेरा काली भोग लगाऊं,
समसाणां मेंं बणा खीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
संकट बैरी बुबकारः,
मेरःलगं कसुते री तीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
अंगारी प छीटा दे दिया,
या स भेठ अखीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
दरबारां मेंं अकड़या भेठया,
रेवाड़ी का हीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
आज तलक तन्नै काटी स,
सदा संकट की जंजीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
पान और पेड़ा लौंग सुपारी,
दयूंगा सिर का चीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
अशोट भक्त प हाथ धरया,
तन्नै करया भक्ति में शीर,
कालका आण बंधाईए धीर।
भोग लिए बिना आवः,
ना मैं जाणु तेरी तासीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
काला काला मंदिर काली काली चुनरी,
काला काला तेरा शरीर,
कालका आण बंधाईए धीर,
तेरे भक्त ने तेरी जोत प,
पड़या बहावणा नीर,
कालका आण बंधाईए धीर।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579
https://youtu.be/6hMLvX9vj04
