- – यह गीत कान्हा (कृष्ण) की बंसी की मधुर धुन की महिमा का वर्णन करता है, जो सुनने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती है।
- – ब्रज क्षेत्र की सुंदरता और वहां की सांस्कृतिक परंपराओं का चित्रण है, जहां कान्हा की बंसी की धुन सबका मन मोह लेती है।
- – गीत में वृन्दावन, बरसाना और यमुना के किनारे कान्हा और राधा के प्रेम और रास का सुंदर वर्णन किया गया है।
- – मुरलीधर (कृष्ण) की लीला और उनकी बंसी की धुन को सुनकर सभी जीव सुध-बुध खो बैठते हैं।
- – यह भजन कान्हा की दिव्यता और उनके संगीत की जादुई शक्ति को दर्शाता है, जो सभी को प्रेम और भक्ति में डुबो देता है।

कान्हा बंसी की धुन जो सुनाए,
kanha bansi ki dhun jo sunaye lyrics
दोहा – मुरलीधर की जादुई धुन से,
बच ना पाए कोई,
रात ढलन को आई फिर भी,
अखियां नाही सोई।
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाए,
ब्रज चौरासी कोस सभी की,
सुधबुध खो सी जाए,
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये,
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।bd।
तर्ज – तोरा मन दर्पण कहलाए।
मोर कोयलिया चरती गैया,
वृन्दावन मंडराए,
क्या जाने कब कुञ्ज गलिन में,
छलिया के दर्शन पाए,
एक झलक तेरी पाकर मन की,
कलियाँ सब खिल जाए,
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये,
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।bd।
बंसीवट भी तोहे पुकारे,
आजा प्रीतम प्यारे,
सखियों के संग रास रचाने,
आ जमना के किनारे,
बरसाने से राधा रानी,
भागी दौड़ी आए,
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये,
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।bd।
सांझ ढले निधिवन मोहन,
श्यामा से मिलने आए,
प्रेम गान में डूब के दोनों,
मोहक रास रचाए,
पर अद्भुत लीला को कोई,
प्राणी देख ना पाए,
Bhajan Diary Lyrics,
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये,
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।bd।
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये,
ब्रज चौरासी कोस सभी की,
सुधबुध खो सी जाए,
कान्हा बंसी की धुन जो सुनाये,
कान्हा मुरली की धुन जो सुनाये।bd।
Singer – Sapna Vishwakarma
