- – गीत में कान्हा (कृष्ण) के रूप और उनकी मनोहर छवि का वर्णन किया गया है, जो राधा जी से मिलने आए हैं।
- – कान्हा की सुंदरता और आकर्षण को मनिहारी (राधा) के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- – मथुरा के प्रेमी और दीवानों की भावनाओं को गीत में जीवंतता से दर्शाया गया है।
- – राधा और कान्हा के बीच प्रेम और मिलन की भावना गीत की मुख्य थीम है।
- – गीत में कान्हा की मुस्कान और उनके रूप की प्रशंसा करते हुए उनके दिव्य रूप को उजागर किया गया है।
- – यह गीत पारंपरिक ढोल-मंजीरे की तर्ज पर गाया गया है, जो इसे और भी जीवंत बनाता है।

कान्हा कैसो रूप बनायो रे,
बन मनिहारी राधा जी से,
मिलने आयो रे,
मिलने आयो रे सांवरो,
मिलने आयो रे,
कान्हा कैसो रूप बनायों रे,
बन मनिहारी राधा जी से,
मिलने आयो रे।।
तर्ज – ढोला ढोल मंजीरा।
गली गली में हेला मारे,
मथुरा को सरदार,
प्रेम दीवानों बन बेचे जी,
चुडला लखदातार,
ओ कान्हा कैसो गजब यो ढायो रे,
बन मनिहारी राधा जी से,
मिलने आयो रे,
कान्हा कैसो रूप बनायों रे।।
सोहनो सो एक छांट के चुडलो,
बोली राधा प्यारी,
घणी जतन सू हाथा माहि,
पेरा दे मनिहारी,
कान्हा मन ही मन मुस्कायो रे,
बन मनिहारी राधा जी से,
मिलने आयो रे,
कान्हा कैसो रूप बनायों रे।।
पूछन लागी दाम बता जद,
मुलक्या कृष्ण कन्हाई,
‘हर्ष’ तेरे से दाम क्या लेस्यु,
झांक ले आंख्या माहि,
जुल्मी कैसो भेष बनायो रे,
बन मनिहारी राधा जी से,
मिलने आयो रे,
कान्हा कैसो रूप बनायों रे।।
कान्हा कैसो रूप बनायो रे,
बन मनिहारी राधा जी से,
मिलने आयो रे,
मिलने आयो रे सांवरो,
मिलने आयो रे,
कान्हा कैसो रूप बनायों रे,
बन मनिहारी राधा जी से,
मिलने आयो रे।।
Singer – Pooja Paliwal Ji
