- – गीत में कान्हा (भगवान कृष्ण) के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम व्यक्त किया गया है।
- – गाय चराने, जमुना नदी में नहाने, माखन खाने जैसे कान्हा के जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन है।
- – भक्ता अपनी आत्मा को कान्हा के साथ पूरी तरह समर्पित करने की इच्छा प्रकट करती है।
- – गीत में भक्त का कान्हा के साथ जुड़ाव और उनकी लीलाओं में शामिल होने की लालसा झलकती है।
- – “दीवानी बन जाउंगी” और “मस्तानी बन जाउंगी” जैसे शब्दों से भक्त की पूर्ण समर्पण भावना और आनंद की अनुभूति होती है।

कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी,
मस्तानी बन जाउंगी,
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी।।
कान्हा मेरो गाय चरावे,
मैं ग्वालन बन जाऊं,
पीछे पीछे चुपके चुपके,
गाय चराने जाऊं,
दीवानी बन जाउंगी,
मस्तानी बन जाउंगी,
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी।।
कान्हा मेरो जमुना नहावे,
मैं मछली बन जाऊं,
चरणों से मैं ऐसे लिपटु,
भक्तानि बन जाउंगी,
मस्तानी बन जाउंगी,
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी।।
कान्हा मेरो माखन खावे,
मैं मिश्री बन जाऊं,
रुच रुच कर वो भोग लगावे,
मैं उसमे रम जाऊं,
अंजानी बन जाउंगी,
अंजानी बन जाउंगी,
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी।।
कान्हा मेरो रास रचावे,
मैं रासीन बन जाऊं,
ऐसी रासीन बनु की इन मिल,
गोपिन में छुप जाऊं,
पुरानी बन जाउंगी,
पुरानी बन जाउंगी,
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी।।
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
कान्हा की दिवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी,
मस्तानी बन जाउंगी,
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी।।
