- – यह गीत भगवान कृष्ण के बचपन की मस्ती और उनकी जिद को दर्शाता है, जहां कान्हा (कृष्ण) चंदा मामा से खेलने की जिद करता है।
- – माता यशोदा और नंद बाबा उसे समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कान्हा अपनी मस्ती और जिद पर कायम रहता है।
- – गीत में कान्हा की मासूमियत और बालपन की नटखट हरकतें जैसे माखन गिराना और खिलौनों से खेलने की इच्छा को सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है।
- – अंत में माता यशोदा की ममता और प्यार से कान्हा की जिद टूट जाती है, और वह चंदा की परछाई देखकर मुस्कुराने लगता है।
- – गीत की मधुर धुन और भावनात्मक शब्दावली श्रोता को कृष्ण की बाल लीलाओं की दुनिया में ले जाती है।
कान्हा नहीं माने रे नहीं माने,
मचल रहे चंदा को,
समझा रही है मात यशोदा,
समझा रही है मात यशोदा,
नन्द बाबा लगे है समझाने,
मचल रहे चंदा को,
कान्हा नही माने रे नही माने,
मचल रहे चंदा को।।
तर्ज – भोला नहीं माने रे।
कहे मैया से रो रो के,
चंदा मामा ही मै लूँगा,
ले लो सारे खिलोने मेरे,
मै तो चंदा से खेलूँगा,
वो तो अपनी ही जिद है ठाने रे,
मचल रहे चंदा को,
कान्हा नही माने रे नही माने,
मचल रहे चंदा को।।
मैया बोली कन्हैया से,
लाला माखन जरा खा ले,
मैया झटकी कन्हैया ने,
माखन मटकी गिरा डाली,
सारी दुनिया बाल हट जाने रे,
मचल रहे चंदा को,
कान्हा नही माने रे नही माने,
मचल रहे चंदा को।।
लेके पानी भरी थाली,
देखो माता यशोदा आई,
अरे मान गये कान्हा,
देख चंदा की परछाई,
‘शिवरंजनी’ लगी है मुस्काने,
मचल रहे चंदा को,
कान्हा नही माने रे नही माने,
मचल रहे चंदा को।।
कान्हा नहीं माने रे नहीं माने,
मचल रहे चंदा को,
समझा रही है मात यशोदा,
समझा रही है मात यशोदा,
नन्द बाबा लगे है समझाने,
मचल रहे चंदा को,
कान्हा नही माने रे नही माने,
मचल रहे चंदा को।।
Singer : Shivranjani Tiwari