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- – कविता में कन्हैया (कृष्ण) से प्रेम और भुलाए न जाने की विनती की गई है।
- – अलग-अलग स्थानों और परिस्थितियों के बावजूद प्रेम की गहराई को दर्शाया गया है।
- – गोपियों और कन्हैया के बीच के प्रेम और दिल के जुड़ाव का उल्लेख है।
- – मोहब्बत की नैया को भंवर में फंसा कर डूबने से बचाने की गुजारिश की गई है।
- – समग्र रूप से यह कविता प्रेम की तड़प और उसकी सजा से बचने की भावना को व्यक्त करती है।

कन्हैया हमें तुम,
भुला तो ना दोगे,
तड़पने की हमको,
सजा तो ना दोगे,
कन्हैया हमे तुम,
भुला तो ना दोगे।।
तर्ज – मेरे प्यार को तुम।
यहाँ नंदरानी,
वहां राजधानी,
अलग अपनी दुनिया,
बसा तो ना लोगे,
कन्हैया हमे तुम,
भुला तो ना दोगे।।
यहाँ गोपियों से,
चलन से तोड़ कर तुम,
वहां दिल किसी से,
लगा तो न लोगे,
कन्हैया हमे तुम,
भुला तो ना दोगे।।
भंवर में फसा कर,
मोहब्बत की नैया,
कहीं बिच इसको,
डूबा तो न दोगे,
कन्हैया हमे तुम,
भुला तो ना दोगे।।
कन्हैया हमें तुम,
भुला तो ना दोगे,
तड़पने की हमको,
सजा तो ना दोगे,
कन्हैया हमे तुम,
भुला तो ना दोगे।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
