- – यह भजन श्री राधे की करुणा और कृपा की प्रार्थना करता है।
- – भक्त अपनी साधना और भजन की कमी स्वीकार करते हुए राधे से अपनत्व की विनती करते हैं।
- – चरणों की सेवा और श्री राधे के चरणों से लगने की इच्छा व्यक्त की गई है।
- – संकट और मुश्किलों में राधे से सहायता और सुरक्षा की प्रार्थना की गई है।
- – भजन में राधा की महिमा और उनके प्रति समर्पण की भावना प्रमुख है।
- – जय राधा राधा श्री राधा के जयकारे से भजन का समापन होता है, जो भक्ति की गहराई दर्शाता है।

करुणामयी कृपा कीजिये श्री राधे,
चरणों से लगा लीजिये श्री राधे।।
जय राधा राधा श्री राधा,
जय राधा राधा श्री राधा।
ना मैं जानू भजन,
साधना श्री राधे,
ना मैं जानू भजन,
साधना श्री राधे,
मुझे अपना बना लीजिये श्री राधे,
करुणामयी कृपा कीजिए श्री राधे,
चरणों से लगा लीजिये श्री राधे।।
जय राधा राधा श्री राधा,
जय राधा राधा श्री राधा।
दे के चरणों की सेवा,
मुझे प्यारी जु,
मेरी किस्मत बना,
दीजिये श्री राधे,
मुझे अपना बना लीजिये श्री राधे,
करुणामयी कृपा कीजिए श्री राधे,
चरणों से लगा लीजिये श्री राधे।।
जय राधा राधा श्री राधा,
जय राधा राधा श्री राधा।
बिच मजधार में,
आ फसी लाडली जु,
पार नैया लगा दीजिये श्री राधे,
मुझे अपना बना लीजिये श्री राधे,
करुणामयी कृपा कीजिए श्री राधे,
चरणों से लगा लीजिये श्री राधे।।
जय राधा राधा श्री राधा,
जय राधा राधा श्री राधा।
कहे चित्र विचित्र,
लाडली श्यामा जु,
अपने काबिल बना लीजिये श्री राधे,
मुझे अपना बना लीजिये श्री राधे,
करुणामयी कृपा कीजिए श्री राधे,
चरणों से लगा लीजिये श्री राधे।।
जय राधा राधा श्री राधा,
जय राधा राधा श्री राधा।
करुणामयी कृपा कीजिये श्री राधे,
चरणों से लगा लीजिये श्री राधे।।
जय राधा राधा श्री राधा,
जय राधा राधा श्री राधा।
