- – यह कविता भगवान श्रीकृष्ण (सांवरे) के प्रति भक्ति और उनकी शरण में जाने की इच्छा को दर्शाती है।
- – कवि अपनी कठिनाइयों, गरीबी और दुखों का वर्णन करता है और भगवान से सहारा मांगता है।
- – कविता में खाटू धाम के दर्शन की लालसा और वहां जाने की प्रेरणा प्रमुख है।
- – कवि अपने जीवन की परेशानियों और तन्हाई को भगवान के सामने रखकर उनकी मदद की प्रार्थना करता है।
- – बार-बार “दर पे मुझे बुला ले, ओ श्याम खाटू वाले” की पुनरावृत्ति से भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास झलकता है।
- – स्वर संजय मित्तल जी का है, जो इस भक्ति गीत को भावपूर्ण बनाता है।

कह देना सांवरे से,
ओ खाटू जाने वाले रे।
दोहा – तुम जा रहे हो खाटू,
किस्मत तेरी रंग लाई,
तेरा आ गया बुलावा,
मेरी याद उसे ना आई।
कह देना सांवरे से,
ओ खाटू जाने वाले रे,
दर पे मुझे बुला ले,
ओ श्याम खाटू वाले,
कह देना सांवरे से।।
मन में रहे ये मेरे,
दर्शन करूँ मैं तेरे,
पर मुश्किलों ने डाले,
चारो तरफ से घेरे,
चारो तरफ से घेरे,
ग़ुरबत ने मेरे सारे,
अरमान फूंक डाले रे,
दर पे मुझे बुला ले,
ओ श्याम खाटू वाले,
कह देना सांवरे से।।
किस्मत ने वो दिए गम,
होंठो पे आ गया दम,
दुःख दर्द जिंदगी के,
तेरे बिना ना हो कम,
तेरे बिना ना हो कम,
इक बार बस कन्हैया,
सीने से तू लगा ले रे,
दर पे मुझे बुला ले,
ओ श्याम खाटू वाले,
कह देना सांवरे से।।
बड़ा दुःख पड़ा उठाना,
क्या जाने ये जमाना,
गर्दिश की आँधियों ने,
तोडा है आशियाना,
तोडा है आशियाना,
किसको दिखाऊं जाकर,
अपने जिगर के छाले रे,
दर पे मुझे बुला ले,
ओ श्याम खाटू वाले,
कह देना सांवरे से।।
मुझे वक्त ने है मारा,
बस यूँ तुझे पुकारा,
आ जाओ अब कन्हैया,
देने मुझे सहारा,
देने मुझे सहारा,
‘गजेसिंह’ लड़खड़ाया,
गिरने से अब बचा ले रे,
दर पे मुझे बुला ले,
ओ श्याम खाटू वाले,
कह देना सांवरे से।।
कह देना सांवरे से,
ओ खाटू जाने वाले रे,
दर पे मुझे बुला ले,
ओ श्याम खाटू वाले,
कह देना सांवरे से।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
