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- – कविता में खाटू धाम के प्रति श्रद्धा और आस्था व्यक्त की गई है, जहाँ श्याम (भगवान कृष्ण) की उपस्थिति से जीवन में सुख-शांति आती है।
- – जीवन की कठिनाइयों और दुखों के बावजूद, खाटू के दर्शन से मन में नई उम्मीद और जीने की चाहत जागती है।
- – खाटू से जुड़े रिश्तों और आशीर्वाद के कारण व्यक्ति ने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस किया है।
- – मुसीबतों का सामना धैर्य और विश्वास के साथ किया जाता है क्योंकि श्याम की कृपा से सुरक्षा और सहारा मिलता है।
- – कविता का स्वर मुकेश बागड़ा जी ने दिया है, जो भावनाओं को और भी गहराई से प्रस्तुत करता है।

खाटू में जब से पाँव पड़े हैं,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं।।
तर्ज – हमें और जीने की चाहत।
दुखड़ो को देखे जमाना है बिता,
वर्ना बताओ कैसे मैं जीता,
जो उलझे थे धागे सुलझने लगे है,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं,
खाटू में जब से पांव पड़े हैं,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं।।
मतलब के साथी तुम्हे हो मुबारक,
तुम्हारी बदौलत मैं आया यहाँ तक,
की खाटू से जबसे रिश्ते जुड़े है,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं,
खाटू में जब से पांव पड़े हैं,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं।।
मुसीबत जो आए दूर से देखे,
दिल को मसो से हाथों को मसले,
‘पवन’ के तो घर पे पहरे खड़े है,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं,
खाटू में जब से पांव पड़े हैं,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं।।
खाटू में जब से पाँव पड़े हैं,
मेरे घर के आगे श्याम खड़े हैं।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
