- – यह गीत खाटू श्याम जी के प्रति गहरा प्रेम और भक्ति व्यक्त करता है, जहाँ भक्त खाटू से निकलते ही उनके दर्शन की यादों में खो जाते हैं।
- – गीत में बाबा श्याम की यादें और उनके प्रति दीवानगी का भाव स्पष्ट रूप से दिखता है, जो भक्तों के दिलों और जीवन में गहराई से समाया है।
- – खाटू से विदा लेने के बाद भी भक्तों के कदम रुक जाते हैं, यह दर्शाता है कि बाबा से जुदाई कठिन और दर्दनाक होती है।
- – गीत में भक्तों की आंखों में आंसू और दिल में बाबा के प्रति अटूट प्रेम की भावना प्रकट होती है।
- – “चोखनी” और “टोनी” जैसे पात्रों के माध्यम से भक्तों की बाबा के प्रति समर्पण और दीवानगी को दर्शाया गया है।
- – कुल मिलाकर यह गीत भक्ति, प्रेम और बाबा श्याम के प्रति श्रद्धा की भावना को सुंदरता से प्रस्तुत करता है।

खाटू से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर,
साँवरे की यादों को लेके चले हैं जो,
आँखें तो जाती हैं भर,
सांवरे से होके जुदा,
रहना हुआ है मुश्किल,
दर्शन को फिर आएँगे,
इनको पुकारे ये दिल,
खाटु से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
तर्ज – घर से निकलते ही।
देखे उन्हे दिल तो करे,
झपके ना पलकें कभी,
ऐसा हसी दूजा नही,
होते दीवाने सभी,
वापस है जाना दिल तो ना माने,
आँखों से बहते ग़म के तराने,
धुँधला सी जाती है डगर,
खाटू जो आते हैं घर भूल जाते हैं,
बाबा से मिलती जब नज़र,
खाटु से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
हाथों से है दिल तो गया,
ऐसी बँधी डोर है,
दीवानो पे बाबा का ही,
चलता सदा ज़ोर है,
धड़कन में हैं वो तन मन में हैं वो,
साँसों में हैं वो जीवन में हैं वो,
दिखता है देखे हम जिधर,
बेबस तो है ‘चोखनी’,
‘टोनी’ ने हार मानी,
दीवानगी है इस क़दर
खाटु से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
खाटू से निकलते ही,
कुछ दूर चलते ही,
पाँव तो जाते ठहर।।
Singer – Sukhjeet Singh Toni
