- – यह गीत खाटू वाले सांवरिया (भगवान श्याम) की भक्ति में लिखा गया है, जो हारे हुए भक्तों को सहारा देते हैं।
- – गीत में भक्त अपनी कठिनाइयों और दुखों को साझा करते हुए भगवान से मदद और आशीर्वाद की प्रार्थना करता है।
- – भगवान को भोला और सीधे-सादे मुखड़े वाला बताया गया है, जो बिना शर्त अपनाते हैं और गिरते हुए को उठाते हैं।
- – गीत में भगवान की दया, सहारा और भक्तों के प्रति प्रेम की महिमा का वर्णन है।
- – यह गीत आरती शर्मा द्वारा स्वरबद्ध किया गया है और इसमें भक्त की विनम्रता और विश्वास झलकता है।

खाटू वाले सांवरिया तुम,
बिगड़ी बात बनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
तर्ज – चाँद सी मेहबूबा हो मेरी।
ये नैया मेरी मजधार में है,
इसे आके पार लगा दो ना,
सोई मेरी तक़दीर है श्याम,
तुम सिर पे हाथ फिर दो ना,
तुम सिर पे हाथ फिर दो ना,
मैंने सुना है बिन माझी के,
नैया पार लगाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
खुशियों की क्या उम्मीद करूँ,
जिसने मेरे गम भी नहीं बांटे,
जिस भी दिल में रहना चाहा,
उसमे भी भरे हुए थे कांटे,
उसमे भी भरे हुए थे कांटे,
मुझको गले से लगालो ना बाबा,
जैसे सब को लगाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
तेरे और मेरे रिश्ते में श्याम,
ना कसमे है ना वादे है,
इक भोला भाला मुखड़ा तेरा,
दो नैना सीधे साधे है,
दो नैना सीधे साधे है,
ऐसे कौन अपनाता मुझको,
जैसे तुम अपनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
दर हार के तेरे आ पंहुचा,
मुझे ठुकरा दो या स्वीकारो,
‘राज मित्तल’ की अर्जी इतनी सी,
हारे हुए भक्तो को तुम तारो,
‘आरती शर्मा’ को भी तारो,
यहाँ गिरते को कोई उठाता नही,
तुम पत्थर को पारस बनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
खाटू वाले सांवरिया तुम,
बिगड़ी बात बनाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो,
हारे को तुम देते सहारा,
लखदातार कहाते हो।।
स्वर – आरती शर्मा।
