- – यह भजन बालाजी के कीर्तन और नृत्य की भव्यता का वर्णन करता है, जहां बालाजी भक्तों के बीच झूमते और नाचते हैं।
- – भजन में हाथ में सोटा घुमाने और ढोल नगाड़े की धुन पर छमछम ठुमके लगाने का चित्रण है।
- – बालाजी के लिए चुरमा और लड्डू जैसे प्रसाद तैयार किए जाते हैं, जो उनकी भक्ति और सम्मान को दर्शाता है।
- – हरियाणा के ईश्माईला गांव और कप्तान शर्मा का उल्लेख है, जो इस भजन की स्थानीय सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।
- – गायक नरेंद्र कौशिक और भजन प्रेषक राकेश कुमार जी द्वारा प्रस्तुत यह भजन भक्तिमय वातावरण का सृजन करता है।

कीर्तन में आगे बालाजी,
इसा नाच नचागे बालाजी।।
लिए हाथ में सोटा घुम रहे,
लिए हाथ में सोटा घुम रहे,
भक्तों के अंदर झुम रहे,
मेरे दिल में भागे बालाजी,
कीर्तन में आ गए बालाजी,
इसा नाच नचागे बालाजी।।
छमछम छमछम नाच रहे,
छमछम छमछम नाच रहे,
यहां ढोल नगाड़े बाज रहे,
इसा ठुमका लागे बालाजी,
कीर्तन में आ गए बालाजी,
इसा नाच नचागे बालाजी।।
तेरा बणा चुरमा तैयार करा,
तेरा बणा चुरमा तैयार करा,
और लाडु का यो थाल भरा,
आज रज रज खागे बालाजी,
कीर्तन में आ गए बालाजी,
इसा नाच नचागे बालाजी।।
आ बाबा ईश्माईला हरियाणा गाम,
आ बाबा ईश्माईला हरियाणा गाम,
रहया कप्तान शर्मा तन्नै बुला,
उड़ै कौशिक गागे बालाजी,
कीर्तन में आ गए बालाजी,
इसा नाच नचागे बालाजी।।
कीर्तन में आगे बालाजी,
इसा नाच नचागे बालाजी।।
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )
