- – यह कविता प्रेम और समर्पण की भावना को दर्शाती है, जहाँ कोई व्यक्ति किसी की नैया (जीवन) का माझी (सहारा) बन जाता है।
- – श्याम (कृष्ण) को नैया और माझी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो जीवन में सुरक्षा और साथ प्रदान करता है।
- – प्रेम करने वाला व्यक्ति अपने प्रिय के जीवन में साथी बनकर विपदाओं से बचाव करता है।
- – प्रेम की शक्ति को सर्वोपरि बताया गया है, जो किसी के जीवन को संवारने और सहारा देने में सक्षम है।
- – कविता में “संजू” कन्हैया का उल्लेख है, जो प्रेम के भूखे और समर्पित हैं, और प्रेम के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं।
- – बार-बार दोहराए गए श्लोक से यह संदेश मिलता है कि सच्चा प्रेम किसी की नैया का माझी बनकर जीवन में स्थिरता और सुख प्रदान करता है।

किसी की नैया का,
माझी बन जाता है,
किसी के जीवन का,
साथी बन जाता है,
जो प्यार करता है,
उसका बन जाता है,
किसी की नैया का,
माझी बन जाता है।।
तर्ज – जो प्यार करता है पागल।
श्याम ही नैया,
श्याम ही माझी,
इसकी राजा में,
दुनिया राजी,
इसकी दया से तो,
साहिल मिल जाता है,
जो याद करता है,
उसका हो जाता है,
जो प्यार करता है,
उसका बन जाता है,
किसी की नईया का,
माझी बन जाता है।।
जिसने बनाया,
कन्हैया को साथी,
जीवन में उसके,
विपदा ना आती,
विपदा से पहले,
ये खुद आ जाता है,
जो याद करता है,
उसका हो जाता है,
जो प्यार करता है,
उसका बन जाता है,
किसी की नईया का,
माझी बन जाता है।।
‘संजू’ कन्हैया,
प्रेम का भूखा,
मेरे साँवरे की,
प्रेम ही पूजा,
ये प्रेम के खातिर,
कुछ भी कर जाता है,
जो याद करता है,
उसका हो जाता है,
जो प्यार करता है,
उसका बन जाता है,
किसी की नईया का,
माझी बन जाता है।।
किसी की नैया का,
माझी बन जाता है,
किसी के जीवन का,
साथी बन जाता है,
जो प्यार करता है,
उसका बन जाता है,
किसी की नईया का,
माझी बन जाता है।।
