- – कविता में सुंदर हिरण का वर्णन किया गया है, जो मनोहर और आकर्षक है।
- – हिरण का रूप स्वर्ण वर्ण और काले बड़े-बड़े नैनों वाला बताया गया है।
- – राम और लक्ष्मण के संदर्भ में हिरण का उल्लेख है, जो राम के धनुष और तीर से जुड़ा है।
- – जानकी (सीता) और लक्ष्मण के बीच संवाद के माध्यम से संकट और देव सहायता की बात कही गई है।
- – कविता में हिरण को दीनबंधु भगवान के रूप में भी संबोधित किया गया है, जो मन को भाता है।
- – यह रचना वीरेंद्र सिंह कुशवाहा द्वारा प्रस्तुत की गई है।

कितना सुंदर हिरण मनोहर,
चरने आया है,
कितना सुंदर हिरण मनोंहर,
चरने आया है।।
स्वर्ण वर्ण हैं अंगन सुंदर,
बड़े-बड़े नैन है काले काले,
दीनबंधु भगवान हिरण मेरे,
मन को भाया है,
कितना सुंदर हिरण मनोंहर,
चरने आया है।।
सिया के वचन राम ने जाने,
राम ने जाने हा राम ने जाने,
लिया धनुष अवतार उन्होंने,
तीर चलाया है,
कितना सुंदर हिरण मनोंहर,
चरने आया है।।
लक्ष्मण कहकर मृग ने पुकारा,
मृग ने पुकारा हाँ मृग ने पुकारा,
सुन लक्ष्मण का नाम,
मैया का दिल घबराया है,
कितना सुंदर हिरण मनोंहर,
चरने आया है।।
कहत जानकी सुनो मेरे भैया,
सुनो मेरे भैया हाँ सुनो मेरे भैया,
तुम्हरे भ्रात पर विपति पड़ी,
अब देव सहारा है,
कितना सुंदर हिरण मनोंहर,
चरने आया है।।
बोले लक्ष्मण सुनो मेरी माता,
सुनो मेरी माता हाँ सुनो मेरी माता,
उनको कौन हराये,
जिन्होंने काल हराया है,
कितना सुंदर हिरण मनोंहर,
चरने आया है।।
कितना सुंदर हिरण मनोहर,
चरने आया है,
कितना सुंदर हिरण मनोंहर,
चरने आया है।।
प्रेषक – वीरेंद्र सिंह कुशवाहा
8770536167
